बिहार में भाजपा की सहयोगी जेडीयू ने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए मीटिंग में एलजेपी को शामिल होने का न्योता भेजने पर कड़ी आपत्ति जताई। सूत्रों ने शुक्रवार बताया कि भाजपा को इस आपत्ति के चलते एलजेपी चीफ चिराग पासवान से मीटिंग में शामिल ना होने की अपील करनी पड़ी, क्योंकि जेडीयू ने स्पष्ट कर दिया था कि अगर चिराग मीटिंग में मौजूद रहे तो पार्टी इसमें शामिल नहीं होगी। चिराग पासवान दिवंगत राम विलास पासवान के बेटे हैं।

बता दें कि 20 जनवरी को ससंदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने चिराग पासवान को एक पत्र भेजा। इसमें एनडीए मीटिंग में ‘संसद के आगामी बजट सत्र के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों’ पर चर्चा में शामिल होने की अपील की गई। शनिवार को मीटिंग में शामिल ना होने पर चिराग पासवान ने द संडे एक्सप्रेस से कहा- ‘मैं अपने स्वास्थ्य कारणों की वजह से मीटिंग में शामिल नहीं हो सका। मैं अस्वस्थ महसूस कर रहा था इसलिए मैंने खुद को आइसोलेशन में रखा हैं।’ हालांकि संयोग से बैठक वर्चुअली थी। तब प्रह्लाद जोशी ने चिराग को भेजे पत्र में कहा था कि मीटिंग के लिए लिंक उचित समय पर साझा किया जाएगा।

जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने द संडे एक्सप्रेस से कहा- ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कहा था (चुनाव के दौरान) कि बिहार में एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम कर रहा है और इसमें ‘वीआईपी’ तथा ‘हम’ शामिल है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी स्पष्ट रूप से कहा था कि बिहार में यही एनडीए है। ऐसे में चिराग जिन्होंने एनडीए को नुकसान पहुंचाया अब गठबंधन का हिस्सा कैसे हो सकते हैं?

मालूम हो कि चिराग ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोध में राज्य में एनडीए से अलग होकर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ा था। एलजेपी जिसने बिहार में नीतीश कुमार के खिलाफ अभियान चलाया, करीब उन सभी सीटों पर चुनाव लड़ा जहां जेडीयू उम्मीदवार मैदान में थे। हालांकि प्रचार के दौरान चिराग ने पीएम मोदी की तारीफ की और उनके नाम पर वोट भी मांगे। चुनाव में एलजेपी ने महज एक सीट जीती, मगर माना जाता है कि जेडीयू को 71 से 43 सीटों पर लाने में उनकी अहम भूमिका रही।

चुनाव में एनडीए गठबंधन की जीत के बाद जेडीयू ने स्पष्ट किया कि एलजेपी को एनडीए में किसी भी कीमत पर वापस नहीं लिया जा सकता। उल्लेखनीय है कि भाजपा नीत एनडीए ने अपने पारंपरिक सहयोगी शिवसेना और अकाली दल के साथ-साथ हनुमान बेनीवाल की आरएलपी को खो दिया। ऐसे में पार्टी और सहयोगी को खोना नहीं चाहती।