पर्यावरण से संबंधित एक संस्था ने कहा कि मानसून और जलवायु परिवर्तन का पूर्वानुमान बादलों पर आधारित है और उन्हें अच्छी तरह समझने से बिजली गिरने के बारे में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। बिजली गिरना भारत में लोगों की मौत का मौसम से जुड़ा सबसे प्रमुख कारण है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा प्रकाशित विकास-पर्यावरण आधारित पाक्षिक पत्रिका ‘डाउन टू अर्थ’ (डीटीई) ने एक विश्लेषण में कहा है कि 2000 से बिजली गिरने की घटनाओं में 30,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। सीएसई ने पत्रिका के हवाले से एक बयान में कहा, ‘डीटीई ने जिन वैज्ञानिकों का इंटरव्यू लिया उनके मुताबिक प्रदूषित बादलों में बड़ी तबाही मचाने की क्षमता होती है।

बिजली गिरने का ही उदाहरण ले लें। साल 2000 से भारत में बिजली गिरने के हादसों में 30,000 से अधिक लोग मारे गये। जिसके कारण यह देश में मौत का मौसम से जुड़ा सबसे प्रमुख कारण बन गया है’। बयान में कहा गया है कि जलवायु प्रणाली में बादल प्रमुख तत्त्व होते हैं क्योंकि वे पृथ्वी का तापमान नियंत्रित करने में मदद करते हैं। वे धरती को गर्म करने और उसे ठंडा करने, दोनों के लिए जिम्मेदार होते हैं। यह निर्भर इस बात पर करता है कि वे किस प्रकार के हैं और कहां हैं।