ओमप्रकाश ठाकुर

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की तीन और लोकसभा की एक सीट के लिए उपचुनावों का बिगुल बज चुका है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की ओर से नामांकन भरने से पहले ही जीत के दावे किए जाने लगे हैं और दोनों ही दल इन चुनावों के लिए कमर भी कस चुके हैं। कई जगहों पर बगावत की बयार भी बह रही है। लेकिन इस बीच सबसे महत्त्वूपर्ण है किसानों और वामपंथियों की ओर से इन चुनावों के लिए अलग तरीके से कमर कसना। वामपंथियों व किसान संगठनों की यह जुगलबंदी किसी भी दल के प्रत्याशी के लिए भारी पड़ सकती है। मंडी संसदीय क्षेत्र और सेब उत्पादक बहुल क्षेत्रों में किसानों व वामपंथियों की जुगलबंदियों के दखल से किसी भी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता।

संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले ही इन चुनावों में भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ प्रचार करने का एलान कर रखा है। मंडी और कुल्लू में भाकियू के नेता राकेश टिकैत के दौरे की भी पहले ही घोषणा हो चुकी है। बदली परिस्थितियों में वह प्रदेश में आ पाते हैं या नहीं अभी इस बाबत कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन इस इन चार उप चुनावों में इस जुगलबंदी का असर जरूर पड़ने वाला है।

अब वामपंथियों ने भी एलान कर दिया है कि वह इन उप चुनावों में चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे लेकिन भाजपा को हराने के लिए सब कुछ करेंगे। अगर माकपा अकेले ही भाजपा प्रत्याशियों को हराने का एलान करती तो इसका ज्यादा असर शायद ही पड़ता लेकिन प्रदेश में किसान संयुक्त मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन की ओर से दस्तक दी जाने लगी है। ऐसे में किसानों का कुछ फीसद मत भी किसी ओर तरफ खिसका तो परिणामों में हेरफेर हो जाएगा।

माकपा के प्रदेश सचिव ओंकार शाद का कहना है कि माकपा उपचुनावों में हिस्सा नहीं लेगी व भाजपा प्रत्याशियों को हराने के लिए हर संभव काम करेगी। भारतीय किसान यूनियन प्रदेश में किसानों को लामबंद करने के लिए एक अरसे से जुटी है। खासकर मंडी संसदीय क्षेत्र में चार लेन से प्रभावित किसान और मंडी के बल्ह क्षेत्र में प्रस्तावित हवाई अड्डे के विरोध में किसान एक अरसे से सड़कों पर हैं। बल्ह में हवाई अड्डा बनाने का सपना मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पाले हुए हंै लेकिन इसके लिए बल्ह क्षेत्र की उपजाऊ जमीन को अधिग्रहित करने के विरोध में किसान एक अरसे से आंदोलनरत हैं। इन आंदोलनों से जुड़े किसान लगातार भारतीय किसान यूनियन के साथ संपर्क में है। ऐसे में इनकी लामबंदी किसी भी प्रत्याशी को धूल चटा सकती है। निश्चित तौर पर इस जुगलबंदी से भाजपा को नुकसान और कांग्रेस को लाभ मिलेगा। जहां कांटे की टक्कर होगी वहां पर इस जुगलबंदी का असर प्रत्यक्ष नजर आएगा।

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनिंदर सिंह नॉटी का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा किसानों को लामबंद करने के लिए पूरी ताकत लगाएगा। लखीमपुर गिरी की घटना से किसानों में भी रोष है। अगर संभव हुआ बदली परिस्थितियों में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के दौरे मंडी संसदीय हलके में हो सकते हैं। साफ है किसानों और वामपंथियों की जुगलबंदी पहली बार इन उपचुनावों में अपना जलवा जरूर दिखाएगी।

मंडी लोक सभा चुनाव में वीरभद्र सिंह को 1977 में, सुख राम को 1989 में, प्रतिभा सिंह को 1998 में, महेश्वर सिंह को 1991, 2004 व 2009 में और कौल सिंह को 1999 में हार का मुंह देखना पड़ा था। 2013 के उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे वर्तमान मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर भी प्रतिभा सिंह से हार गए थे। 2014 में अपने पति वीरभद्र सिंह के मुख्यमंत्री रहते प्रतिभा सिंह भी रामस्वरूप शर्मा से मात खा गई थीं। 2019 में रामस्वरूप शर्मा ने पूर्व संचार मंत्री पंडित सुख राम के पोते आश्रय शर्मा को अब तक के रेकार्ड अंतर चार लाख पांच हजार मतों से हराया था। दिगज कर्मचारी नेता मधुकर व अदन सिंह भी यहां से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ कर हार चुके हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा किसानों को लामबंद करने के लिए पूरी ताकत लगाएगा।लखीमपुर खीरी की घटना से किसानों में भी रोष है। अगर संभव हुआ बदली परिस्थितियों में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के दौरे मंडी संसदीय हलके में हो सकते हैं।

  • अनिंदर सिंह नॉटी, प्रदेश अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन