बिजली की फिजूलखर्ची रोकने के लिए सड़कों की प्रकाश व्यवस्था को एलईडी लाइट से बदलने की प्रधानमंत्री मोदी की पहल के तहत पिछले एक साल में 8 लाख से अधिक स्ट्रीट लाइटें बदली जा चुकी हैं। देश के 64 शहरी स्थानीय निकायों में कार्य प्रगति पर है जबकि 46 शहरी स्थानीय निकायों में कार्य पूरा हो चुका है।

ऊर्जा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी 2015 को 100 शहरों में स्ट्रीट लाइट बदलने और आवास के लिए एलईडी बल्ब प्रदान करने का कार्यक्रम शुरू किया था। इस कार्यक्रम के तहत 31 मार्च 2016 तक 303 शहरी स्थानीय निकायों ने पंजीकरण कराया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस पहल से सालाना 17.4 करोड़ केडब्लूएच ऊर्जा की बचत का अनुमान है और सड़कों पर स्ट्रीट लाइट के लोड में 36 एमडब्लू की कमी आने का अनुमान है, साथ ही सालाना तौर पर ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में 1.9 लाख टन कार्बन डाइआक्साइड की कमी आने का अनुमान है। इस कार्यक्रम के तहत 3.5 करोड़ स्ट्रीट लाइट को बदलने का लक्ष्य रखा गया है और ऐसा अनुमान लगाया गया है कि कार्यक्रम पूरा होने के बाद सालाना 900 करोड़ के डब्लूएच ऊर्जा बचाई जा सकेगी और स्ट्रीट लाइट के स्थापित लोड में 1500 एमडब्ल्यू की कमी आ सकेगी। सरकार ने अगले 3 साल में पूरे देश में एलईडी योजना को क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा है।

इस पहल को ऐसे समय में महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है जब देश के अनेक महानगरों व शहरों में स्ट्रीट लाइट की स्थिति खराब है और जहां यह व्यवस्था है, वहां पारंपरिक प्रकाश व्यवस्था होने के कारण ऊर्जा की खपत अधिक होती है। सरकार ने घरेलू ऊर्जा खपत कम करने के लिए डीईएलपी कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत घरों में इस्तेमाल बल्बों की जगह एलईडी बल्बों का प्रयोग किए जाने की पहल की गई है। इससे बड़ी मात्रा में बिजली की बचत की जा सकेगी और ऐसा अनुमान है कि इससे बिजली उपभोक्ताओं का 40 हजार करोड़ रुपया बचाया जा सकेगा।

इसी तरह से राष्ट्रीय स्तर पर स्ट्रीट लाइट को बदलने का कार्यक्रम है जिसके तहत साढ़े तीन करोड़ लाइटों को एलईडी बल्बों में बदला जाएगा । स्ट्रीट लाइट को एलईडी बल्बों में बदलने से शहरी निकाय इकाइयों को 5500 करोड़ रुपए की बचत होने का अनुमान है। अब तक स्ट्रीट लाइट बदलने से 64190 टन कार्बन डाइआक्साइड के उत्सर्जन को कम किए जाने का अनुमान जताया गया है जबकि घरों में एलईडी बल्बों के इस्तेमाल से भी भारी मात्रा में कार्बनडाइआक्साइड का उत्सर्जन कम होने की बात सामने आई है।