Cyclone Fani : ओडिशा में पिछले शुक्रवार (3 मई) को आए चक्रवाती तूफान फानी से हजारों लोगों की जान आईआईटी प्रोफेसर्स द्वारा डिजाइन किए गए शेल्टर होम ने बचाई। प्रोफेसर्स ने बताया कि 1999 के सुपरसाइक्लोन से सबक लेकर उन्होंने यह प्रोजेक्ट डिजाइन किया था। सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर श्रीमन कुमार भट्टाचार्य और विजिटिंग प्रोफेसर गोपाल चंद्र मित्रा ने बताया कि उन्होंने इस प्रोजेक्ट को डिजाइन करने में डेढ़ साल का वक्त लिया। इस डिजाइन का प्रोटोटाइप 2004 में तैयार हुआ था। प्रोजेक्ट का स्ट्रक्चर बनाने में कंक्रीट की मदद ली गई थी।

प्रधानमंत्री राहत कोष से मिला फंडः भट्टाचार्य ने बताया कि उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से फंड मिला था। इस प्रोजेक्ट पर काम करने का मुख्य उद्देश्य था कि अगर 1999 के सुपर साइक्लोन जैसी स्थिति अगर दोबारा उत्पन्न हो जाए तो उससे निपटा जा सके। बता दें कि इस साइक्लोन में 10 हजार लोगों की मौत हुई थी। आईआईटी के डिप्टी डायरेक्टर भट्टाचार्य ने बताया, ‘1999 में सुपरसाइक्लोन ने ओडिशा को पूरी तरह तबाह कर दिया था। वह उनके लिए ट्रिगर था। ऐसे में राज्य सरकार की विंग ओडिशा राज्य आपदा शमन प्राधिकरण ने आईआईटी के साथ मिलकर यह प्रोजेक्ट शुरू किया।

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अब तक बने  600 शेल्टरः ओडिशा के पब्लिक डिपार्टमेंट के एक इंजीनियर ने बताया कि लोगों को चक्रवात से बचाने के लिए 2004 से अब तक 600 शेल्टर होम बनाए जा चुके हैं। हर शेल्टर होम में 1000 लोग आसानी से ठहर सकते हैं।

इस तरह बनाया गया स्ट्रक्चरः भट्टाचार्य बताते हैं कि दो मंजिला शेल्टर होम्स का स्ट्रक्चर स्टिल्ट पर खड़ा किया गया है। इसे कंक्रीट और चिनाई वाली इनफिल दीवारों की मदद से बनाया गया है। बता दें कि इनफिल दीवार कंक्रीट के दो कॉलमों के बीच की दीवार की ताकत बढ़ाती है। यही नहीं बिल्डिंग में दिव्यांगों के लिए रैंप की व्यवस्था भी है।

आखिर कंक्रीट ही क्योंः भट्टाचार्य और मित्रा बताते हैं कि अगर हम स्टील चुनते तो वह स्ट्रक्चर की नींव कमजोर हो जाती। भट्टाचार्य ने कहा कि तटीय इलाके में कंक्रीट के स्ट्रक्चर बनाना ज्यादा उचित होता है। भट्टाचार्य ने बताया, ‘मौसम विभाग ने तूफान के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था, जिसके बाद सरकार की मदद से तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को तूफान से तीन दिन पहले ही शेल्टर होम में पहुंचा दिया गया।’