बीते पंद्रह रोज के दरम्यान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने दो रैली को संबोधित किया। 27 अगस्त को हुई पटना में महारैली थी। जो भाजपा भगाओ देश बचाओ के नाम से थी। जिसमें कई विपक्षी दलों ने शिरकत किया। दूसरी रैली भागलपुर के सैंडिस कम्पाउंड स्टेडियम में 10 सितंबर को हुई। यह रैली बिहार में सरकारी धन के सबसे बड़े फर्जीवाड़े के खिलाफ थी। जिसका नाम राजद ने ‘सृजन के दुर्जन के विसर्जन रैली’ दिया। इन दोनों रैलियों खासकर भागलपुर की रैली में आम लोगों की मौजूदगी से यह साफ जाहिर हुआ कि लालू प्रसाद अब भी भीड़ जुटाउ नेता है। लोगों ने उनके भाषण को बड़े ध्यान से सुना। और बीच-बीच में जिंदाबाद के नारे लगाए।

सृजन घोटाला बिहार के लिए लालू प्रसाद को नीतीश कुमार और भाजपा नेताओं पर तीखा हमला करने का जोरदार हथियार मिल गया है। वे शनिवार को अपने दोनों बेटों तेजप्रताप और तेजस्वी के साथ ट्रेन से आए और सोमवार सुबह सड़क मार्ग से पटना गए। उनकी सभा में राजद नेता रघुवंश नारायण सिंह, जयप्रकाश नारायण यादव, भागलपुर के सांसद बुलो मंडल मंच पर साथ थे। सृजन को महाघोटाला करार देते हुए सीबीआई से निष्पक्ष जांच की इन्होंने मांग की। इस मुद्दे को राजद किसी हालत में दबने नहीं देना चाहता है। तभी बिहार के सभी जिलों में घोटाले के खिलाफ जिला मुख्यालय में धरना देने का मंगलवार को आयोजन किया है।

धरना युवा राजद के बैनर तले आयोजित किया गया है। भागलपुर डीएम दफ्तर के बाहर राजद के प्रदेश युवा नेता से लेकर जिला स्तर के नेता तक ने धरने में शिरकत की। राजद के जिला अध्यक्ष तिरुपति यादव, सांसद प्रतिनिधि संजय यादव जिला युवा अध्यक्ष सौरव यादव वगैरह ने सीबीआई से बारीकी से निष्पक्ष जांच कर सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपए का चूना लगाने वालों को जेल में ठूसने की मांग की। चाहे वह किसी भी हैसियत का हो।

हालांकि 17 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की सिफारिश केंद्र से कर दी थी। केंद्र सरकार ने भी बगैर देरी के इस पर मुहर लगाई और 2 सितंबर को सीबीआई 15 सदस्यीय जांच दल एएसपी सुरेंद्र मल्लिक के नेतृत्व में भागलपुर पहुंच जांच का जिम्मा संभाल लिया। दरअसल सृजन के सबौर दफ्तर में लगी भाजपा नेताओं की तस्वीर और रंक से राजा बने विपिन शर्मा, दीपक वर्मा, किशोर घोष, रेखा मोदी, एनवी राजू वगैरह का नाम इत्तफाक से एनडीए से जुड़े होने या इनके नेताओं से रिश्ते मधुर होने की वजह से भी राजद के लिए यह राजनैतिक हथियार बन गया।

गौरतलब है कि नीतीश कुमार हाल ही में महागठबंधन से नाता तोड़ एनडीए में वापस आ जाने की वजह से भी राजद और लालू परिवार उनपर हमलावर है। इन रैलियों के मार्फत जनता को बताना चाहते है कि नीतीश कुमार ने जनता के मेंडेट के साथ धोखा किया है। और जुटी भीड़ दिखा नीतीश कुमार को संदेश दे रहे हैं कि जनता अब भी राजद के साथ है। भीड़ को देख लालू प्रसाद और उनके दोनों बेटे अपने दमखम से लबरेज हो गए। तभी हुंकार भरी नीतीश कुमार में दम है तो चुनाव करा कर देख ले। पता चल जाएगा जनता किसके साथ है। तेजप्रताप ने तो हरे रंग के दुपट्टे से माथे पर मुरेठा बांध ठेठ गंवई में अपने पिता के अंदाज में ललकारा।

लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार के खिलाफ कहीं कई बातों का उनकी पार्टी के मंत्री ललन कुमार सिंह व विजेंद्र प्रसाद यादव ने सरीखे लालू प्रसाद को भाषा और मर्यादा की लक्ष्मण रेखा न लांघने की चेतावनी बयान जारी कर दी है। तो नीतीश कुमार ने पटना में पत्रकारों को लालू प्रसाद का नाम लिए बगैर भागलपुर में उनकी सभा को नुक्कड़ नाटक और आत्मघाती करार दिया है।

वहीं, तपोवन के निदेशक डा. जेता सिंह ने लालूप्रसाद के बयान पर प्रतिक्रिया पत्रकारों को बुलाकर दी। और बोले जिस तपोवन को लोकनायक जयप्रकाश नारायण सरीखे प्रमाण पत्र दे चुके हैं, उसको किसी और के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। राजीवकांत मिश्र ने भी कहा कि लालूप्रसाद को कोई गंभीरता से नहीं लेता।

मालूम रहे कि लालू प्रसाद ने अपने भाषण में नीतीश कुमार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनको कौन सी बीमारी है जो तपोवन में अपना इलाज कराते हैं। जेता सिंह से उनके क्या रिश्ते है साफ करें। जो तपोवन को सरकारी खजाने के 50 करोड़ रुपए दे दिए और जब भागलपुर आते हैं तब मिश्राजी के घर जाते हैं। इन्हीं सब उनकी कही बातों की भागलपुर में तरह-तरह से चर्चा हो रही है। खैर, जो हो भागलपुर में लालू प्रसाद की सभा में जुटी भीड़ उनको और बेटों व राजद नेताओं को विश्वास से लबरेज कर दिया। और यह संदेश भी दिया कि उनपर या उनके परिवार पर जितना भी आरोप लगे, इससे उनके चाहने वालों पर फिलहाल तो रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ा है।