उत्तर प्रदेश में गायों और गौशालाओं को लेकर काफी चर्चा होती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को सख्त आदेश दिया है कि वह गौशालाओं की स्थिति सुधारें और ध्यान रखें कि गायों के शेल्टर में कोई कमी न रहे। लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और ही है। सोशल मीडिया पर लगातार उत्तर प्रदेश की गौशालाओं की फोटो आती रहती है, जिसमें गाय तो होती है लेकिन स्थिति काफी बदतर होती है।
इसी क्रम में यूट्यूब चैनल यूपी तक ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उसने लखनऊ के सरोजनी नगर स्थित गौशाला की स्थिति दिखाई। यहां पर गौशाला में गाय तो है लेकिन गायों के लिए चारा और पानी तक नहीं है। एक गाय तो घायल अवस्था में जमीन पर लेटी हुई है। न ही गायों के लिए टीन शेड का इंतजाम किया गया है। इस चिलचिलाती धूप में गाय खुले आसमान के नीचे खड़ी हुई दिखाई दे रही है।
यूपी के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह भी मानते हैं कि गौशालाओं की स्थिति ठीक नहीं है और उन्होंने गायों पर एक निबंध भी सुना दिया। दरअसल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान धर्मपाल सिंह ने कहा, “गाय हमारी माता है। गाय का दूध, गाय का घी, गाय का गोबर, गाय का मूत्र! गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास है। गाय के मूत्र में गंगा मैया रहती हैं। कहीं कोई वास्तु दोष हो या फिर कोई कठिनाई हो ,तो गाय का मूत्र छिड़कने से सारी समस्याएं दूर हो जाती है।”
वहीं भारतीय गौसेवा आयोग की अध्यक्ष पारूल भार्गव ने कहा, “पहले जो हमें सरकार से पैसा आता था, उसमें से 90% पैसा गायब हो जाता था। लेकिन अब इसमें कुछ नीचे के लोग अच्छा काम कर रहे हैं ,जिससे थोड़ी राशि बढ़ी है। अभी हमें प्रतिदिन एक गाय के लिए 31 रुपए का खर्च आता है, जिसका चारे और भूसे में उपयोग होता है। लेकिन यह राशि काफी कम है। एक गाय पर प्रतिदिन 45 रुपए का खर्च आता है।”
यूपी पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ इंद्रमणि ने कहा, “गौशालाओं में गोवंश की मृत्यु स्वभाविक है, क्योंकि इसमें वही गोवंश रखे जाते हैं जो वृद्ध हो, कमजोर हो या फिर बीमार हो। गांव में देखा गया है कि गांव के लोगों की कोई भी गाय का बछड़ा मरती है, तो उसे पास के गौशाला में ले जाकर डाल देते हैं।”