लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में रविवार (24 अप्रैल 2022) को सरेंडर करने वाले यूपी के गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे और मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के केस में नया मोड़ आ गया है। आशीष की जमानत पर बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायाधीश राजीव सिंह ने खुद को इस केस से अलग कर लिया है।
न्यायमूर्ति सिंह की बेंच ने ही पहले आशीष को जमानत दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को रद्द कर दिया था। प्रकरण की सुनवाई के लिए नए न्यायाधीश की नियुक्ति के बाद अदालत मामले की अगली सुनवाई करेगी। मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच में 27 अप्रैल को होनी थी लेकिन उसे आगे बढ़ा दिया गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी। जस्टिस राजीव सिंह ने खुद को मामले से अलग करने की जानकारी मुख्य न्यायाधीश को दे दी है। अब मुख्य न्यायाधीश नयी बेंच का गठन करेंगे और तय करेंगे कि मामले की अगली सुनवाई कौन करेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की थी जमानत: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हाईकोर्ट की दी हुई जमानत रद्द करने के बाद 24 अप्रैल को आशीष मिश्रा ने सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को 25 अप्रैल तक सरेंडर करने के आदेश दिए थे, लेकिन उसने एक दिन पहले ही सरेंडर कर दिया था। जिसके बाद आशीष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दोबारा जमानत के लिए याचिका डाली थी, जिस पर 27 अप्रैल को सुनवाई होनी थी।
लखीमपुर खीरी मामले में मुख्य आरोपी है आशीष मिश्रा: 3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कस्बे में हुई हिंसा में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की जान गई थी। आरोप है कि जिस थार गाड़ी से कुचलकर किसानों की मौत हुई,उस पर आशीष मिश्रा सवार था। जांच टीम ने मामले की जांच करते हुए 14 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसमें मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी है।
आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी 2022 में जमानत दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल 2022 को आशीष मिश्रा की बेल रद्द कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत रद्द करते हुए कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष को नहीं सुना।