महागठबंधन में सबसे कम सीट पर चुनाव लड़ रही पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी को लेकर हुई उपमुख्यमंत्री की घोषणा ने राजग के जातिगत समीकरण को बिगाड़ दिया। विकासशील इंसान पार्टी अध्यक्ष सहनी अति पिछड़ा वर्ग से आते हैं और राजग का बड़ा वोट बैंक अति पिछड़ा वर्ग ही है। ऐसे में सहनी की घोषणा से महागठबंधन मतों के ध्रुवीकरण कर सकता है।
साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में महागठबंधन कुल मत में से 37.23% वोट के साथ केवल 0.03% मत के अंतर से हार गया था। हालांकि उक्त चुनाव में भी महागठबंधन के मतों में 8.62% की बढ़त दर्ज हुई थी।
महागठबंधन के नेताओं का कहना है कि पिछले चुनाव में राजग की जीत में बड़ी भागीदारी अति पिछड़ा वर्ग की रही है। इसमें करीब 100 जातियां आती हैं और राजग का समर्थन करती रही हैं। जबकि महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल मुसलिम और यादव वोट के बल पर उभरती है।
NDA के पारंपरिक वोट-बैंक में दरार की आशंका
ऐसे में सहनी के सहारे ध्रुवीकरण को लेकर किया गया प्रयास राजग के पारंपरिक वोट-बैंक में दरार की आशंका बना सकता है। वैसे भी महागठबंधन लगातार राजग के तरफ से अभी तक बिहार के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा न दे पाने और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर सवाल उठा रही है।
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विकासशील इंसान पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रदेश में समुदाय की आबादी करीब पांच से छह फीसद मानी जाती है। वहीं उप-समुदाय (केवट, बिंद, मांझी, तेली मल्लाह, आदि) को जोड़ दिया जाए तो संख्या और अधिक होने का अनुमान है। समुदाय मुख्य रूप से उत्तर बिहार (मिथिलांचल, सीमांचल और तिरहुत क्षेत्र) में केंद्रित है। इसमें दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, सहरसा, सुपौल, कटिहार और मधेपुरा सहित अन्य जिले आते हैं।
सहनी के साथ खेल रहा महागठबंधन – जदयू
बता दें कि राजग का मुख्य आधार परंपरागत रूप से सवर्ण (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण) और ओबीसी (कुर्मी, कुशवाहा, यादव विरोधी वोट) रहा है। जदयू के नेता अभिषेक झा ने कहा कि महागठबंधन सहनी के साथ खेल कर रही है। उन्हें दी गई कई सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवार ही दोस्ताना चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में उनके उम्मीदवार जीत पाएंगे। रही बात अति पिछड़ा वर्ग के सम्मान की बात तो मुख्यमंत्री नीतीश सरकार ने उन्हें उचित आरक्षण दिया। कर्पुरी ठाकुर को भारत रत्न दिवाकर समुदाय को मान दिलवाया है।
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