महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को फैसला किया कि दिन के समय किसानों को लगातार बिजली उपलब्ध कराने के लिए राज्य में सौर ऊर्जा संचालित कृषि को बढ़ावा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग में तय किया गया कि उन किसानों को सवा लाख रुपये प्रति वर्ष किराया दिया जाएगा, जो सोलर पैनल लगाने के लिए 30 सालों के लिए अपनी जमीन लीज पर सरकार को देंगे। किराये की रकम हर साल तीन फीसदी बढ़ जाएगी। जमीन का मालिकाना हक हमेशा किसानों के पास रहेगा और तीस सालों बाद यह उनको वापस कर दिया जाएगा।

डिप्टी सीएम ने कहा, “कृषि को सौर ऊर्जा में शिफ्ट करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य है”

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “महाराष्ट्र पहला राज्य है जो कृषि को सौर ऊर्जा में शिफ्ट कर रहा है। और यह भूमि लीज मॉडल पेश किया है, जो किसानों को निरंतर धन कमाने और भूमि के मालिकाना हक को बनाए रखने में मदद करेगा।” उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा शुरू करने से बिजली उत्पादन लागत में भारी कमी आएगी। फडणवीस ने कहा, “वर्तमान में प्रति यूनिट बिजली की दर 7 रुपये है। जब हमारे पास सौर ऊर्जा होगी, तो इसकी कीमत 3.30 रुपये प्रति यूनिट होगी।”

सरकार किसानों को भारी सब्सिडी वाली बिजली दे रही है

किसानों को भारी सब्सिडी वाली बिजली मिल रही है। उन्हें केवल 1.50 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान करना होगा। हालांकि, राज्य सरकार पर 10,000 करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ेगा। यह आंशिक रूप से उद्योगों और घरेलू उपयोगकर्ताओं से उच्च बिजली आपूर्ति शुल्क वसूल कर क्रॉस-सब्सिडी से राशि वसूल करता है।

राज्य सरकार सौर ऊर्जा के लिए जहां आवश्यक हो, कृषि फीडरों के 5 किमी के भीतर निजी भूमि का दावा करेगी। फडणवीस ने कहा कि सरकारी जमीन के मामले में यह कृषि फीडर के आसपास 10 किमी तक होगी।

ऊर्जा विभाग संभालने वाले उपमुख्यमंत्री ने कहा, “हमारी सरकार किसानों को 24×7 बिजली प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।” वर्तमान में कृषि क्षेत्र को बिजली की आपूर्ति कोयला आधारित है। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर दिन के समय बिजली की कटौती कृषि गतिविधियों में बाधा डालती है। नतीजतन, किसान रात के समय काम करने के लिए खेत में जाने को मजबूर होते हैं।”