ओडिशा के कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) की एक सहायक प्रोफेसर ने अपनी नौकरी छोड़ दी। उनका दावा है कि भारतीय सेना पर टिप्पणी करने के कारण उन्हें नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया कि पुलवामा हमले को लेकर वे एक टीवी चैनल की डिबेट में शामिल हुई थीं। उस दौरान उन्होंने सेना पर टिप्पणी की तो नौकरी से इस्तीफा मांग लिया गया। वहीं, यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट का कहना है कि महिला प्रोफेसर ने अपने निजी कारणों की वजह से नौकरी छोड़ी है। उन पर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाया गया।

यह है मामला : केआईआईटी में डिवेलपमेंट थ्योरी एंड प्रैक्टिस और सोशियोलॉजी पढ़ाने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर मधुमिता रे ने यह आरोप लगाया है। उन्होंने बताया, ‘‘पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद एक टीवी चैनल ने उन्हें डिबेट के लिए बुलाया था। इस डिबेट का विषय ‘पुलवामा आतंकी हमले में 40 जवान शहीद होने के बाद क्या भारत को पाकिस्तान से जंग करनी चाहिए’ था। टीवी पर 18 फरवरी को टेलिकास्ट हुए इस कार्यक्रम में मधुमिता ने पुलवामा हमले की कड़ी निंदा की थी। साथ ही, कहा था कि पाकिस्तान के साथ जंग से कोई मसला हल नहीं होने की बात कही। इसके अलावा भारतीय सेना पर कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट के लोगों के साथ बेरहमी से बर्ताव करने का आरोप भी लगाया था।

ऐसे बढ़ा विवाद : मधुमिता ने बताया कि लोगों ने उनकी टिप्पणी की काफी निंदा की। साथ ही, यूनिवर्सिटी से आह्वान किया कि महिला प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। विरोध बढ़ने पर यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने 20 फरवरी को असिस्टेंट प्रोफेसर मधुमिता को तलब किया और 48 घंटे में नौकरी छोड़ने के लिए कहा।

अगले दिन दिया इस्तीफा : द टेलीग्राफ के मुताबिक, महिला प्रोफेसर ने 21 फरवरी को नौकरी से इस्तीफा दे दिया। केआईआईटी की पीआरओ श्रद्धांजलि नायक ने मधुमिता के आरोपों को नकारा है। उन्होंने कहा कि महिला प्रोफेसर को नौकरी से नहीं निकाला गया है। उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया।