एक गरीब परिवार से नाता रखने वाले पिनराई विजयन की छवि एक सख्त ‘टास्कमास्टर’ की है, जिनकी संगठन पर खासी पकड़ रही है। विजयन (72 साल) दक्षिणी प्रदेश में संभवत: अकेले पार्टी नेता हैं, जिनका 16 साल तक पार्टी पर पूरा नियंत्रण रहा। उनका यह नियंत्रण पिछले साल तब तक रहा, जब तक वे राज्य सचिव के पद पर रहे। पिनराई के नाम से लोकप्रिय विजयन ने केरल विधानसभा में वाम की जीत सुनिश्चित करने के लिए वीएस अच्युतानंदन द्वारा जोशपूर्ण प्रचार किए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में उन्हें पीछे छोड़ दिया। वे माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य हैं, जो राजनीतिक रूप से प्रभावशाली थिय्या समुदाय से आते हैं, जबकि पार्टी में उनके प्रतिद्वंद्वी अच्युतानंदन दक्षिण केरल के एझावा समुदाय से आते हैं।

मितभाषी विजयन ने राज्य सचिव के अपने कार्यकाल के दौरान अपने सांगठनिक कौशल का परिचय दिया। वे 1996 से 1998 के बीच कुछ समय के लिए राज्य के बिजली मंत्री भी रहे। उसी दौरान वे भ्रष्टाचार के आरोप के घेरे में आए। यह आरोप तीन पनबिजली परियोजनाओं के आधुनिकीकरण के लिए एक कनाडाई कंपनी एसएसनसी-लैवलिन को ठेका दिए जाने से संबंधित था। उनके विरोधी उन पर निशाना साधने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल करते रहे हैं। विजयन ने हमेशा कहा है कि यह राजनीतिक रूप से प्रेरित मामला था और कोई गलती नहीं की गई थी। उनके आलोचक उन्हें ऐसा नेता करार देते रहे हैं- जिनके चेहरे पर मुस्कराहट नहीं होती। वहीं पार्टी में उनके प्रतिद्वंद्वी उन पर पार्टी लाइन से अलग हटने का आरोप लगाते रहे हैं।

जब वे राज्य सचिव थे, उसी दौरान अच्युतानंदन और उनके बीच तकरार सामने आई। उनके मुख्यमंत्री पद के लिए चुने जाने को अच्युतानंदन के साथ सत्ता संघर्ष में उनकी जीत के तौर पर भी देखा जा रहा है। अच्युतानंदन एक लोकप्रिय नेता हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान काफी प्रचार किया। वे भी शीर्ष पद की होड़ में थे। अच्युतानंदन के साथ वियजन को 2007 में पोलित ब्यूरो से निलंबित कर दिया गया था। दोनों नेताओं ने खुलेआम मीडिया के जरिए एक-दूसरे की आलोचना की थी। बाद में उन्हें पोलित ब्यूरो में फिर शामिल किया गया। हालांकि बाद में अच्युतानंदन को पार्टी अनुशासन तोड़ने के आरोप में फिर से इससे हटा दिया गया था। विजयन ने 1996 से 98 के बीच बिजली मंत्री के रूप में अपने छोटे कार्यकाल में अपने को समर्थ प्रशासक के रूप में साबित किया। उस समय दिवंगत ईके नयनार मुख्यमंत्री थे।

मंत्री के रूप में उठाए गए उनके कदमों के कारण उस अवधि में राज्य में बिजली उत्पादन और वितरण क्षमता में काफी विस्तार हुआ। एनएससी-लैवलिन कंपनी के अलावा आरएमपी नेता टीपी चंद्रशेखरन की हत्या जैसे मुद्दों को लेकर उनकी छवि प्रभावित हुई है। पूर्व माकपा नेता चंद्रशेखरन की 2011 में कोझिकोड में हत्या कर दी गई थी, जब वे पार्टी के राज्य सचिव थे। 21 मार्च, 1944 को कन्नूर जिले के पिनराई में जन्मे विजयन 26 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने। इसके बाद वे कई बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और आपातकाल के दौरान उन्हें प्रताड़ित भी किया गया। विजयन के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा एक पुत्र और एक पुत्री हैं।