Kerala High Court: केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को कोचीन देवस्वोम बोर्ड (CDB) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें त्रिपुनिथुरा में एक मंदिर उत्सव के दौरान हाथियों के बीच तीन मीटर की दूरी बनाए रखने के दिशा-निर्देशों का पालन करने से छूट मांगी गई थी। कोर्ट ने कहा कि जानवरों की भलाई के लिए ये निर्देश बेहद ही अहम थे। इस केस की सुनवाई जस्टिस ए.के. जयशंकरन नांबियार और गोपीनाथ पी. की पीठ कर रही थी।
बेंच ने कहा कि ऐसी प्रथाओं को संवैधानिक सिद्धांतों के हिसाब से ही होना चाहिए। सीडीबी नेतिरुपुनिथुरा के मंदिर में होने वाले उत्सव के दौरान छूट के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था। बोर्ड की तरफ से पेश हुए वकील केपी सुधीर ने कहा था कि 15 हाथियों की परेड उत्सव बेहद ही अहम हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नांबियार ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अगर हाथियों का इस्तेमाल किसी धर्मग्रंथ द्वारा अनिवार्य नहीं है, तो यह एक जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि हाथी न रखें। लोगों की आस्था और धार्मिक उत्साह को बनाए रखने के लिए, हाथी रखना ठीक है, लेकिन आपको यह साबित करना होगा कि 3 मीटर से कम दूरी उचित है।’
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हिंदू धर्म इतना नाजुक नहीं- जस्टिस नांबियार
बोर्ड ने कहा था कि निर्देशों का पालन करने से उत्सव में हिस्सा लेने वाले हाथियों की संख्या सीमित हो जाएगी। इससे काफी लंबे टाइम से चली आ रही परंपराओं में अड़चने पैदा होगीं। इस पर जस्टिस नांबियार ने कहा, ‘हम यह मानने से इनकार करते हैं कि हिंदू धर्म इतना नाजुक है कि एक हाथी की उपस्थिति के बिना यह ढह जाएगा।’ वहीं जस्टिस गोपीनाथ ने कहा, ‘जब तक आप यह नहीं दिखाते कि हाथियों के बिना धर्म का अस्तित्व खत्म हो जाता है, तब तक जरूरी धार्मिक प्रथा का कोई सवाल ही नहीं उठता।’
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इस मामले में कोर्ट हाथियों की भलाई पर ज्यादा फोकस कर रहा है। वह कई बार परेड और त्योहारों के दौरान काफी परेशानियों से गुजरते हैं। बेंच ने 13 नवंबर को क्रूरता रोकने के लिए अहम दिशानिर्देश जारी किए हैं। इनमें त्योहारों का रजिस्ट्रेशन और परेड के दौरान हाथियों के बीच न्यूनतम तीन मीटर की दूरी बनाए रखना शामिल है। आरक्षण लेने के लिए धर्म नहीं बदला जा सकता पढ़िये सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी