Kerala Lottery: केरल में लॉटरी बेचने का धंधा राज्य सरकार के लिए जैकपॉट साबित हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में हर हफ्ते 7.92 करोड़ लॉटरी टिकट बिकते हैं, जबकि 2011 की जनगणना के मुताबिक केरल की आबादी सिर्फ 3.34 करोड़ है। ऐसे में सरकार को इस काम से काफी मुनाफा हो रहा है। बताया जा रहा है कि इस बिजनेस से मिलने वाले मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा सरकार सामाजिक कार्यों में लगाती है।

केरल आर्थिक समीक्षा 2018 के मुताबिक, लॉटरी के कारण राज्य में 2013-14 से गैर-कर राजस्व (नॉन टैक्स रेवेन्यू) में काफी इजाफा हुआ, जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का हिस्सा है। राज्य में लॉटरी बिकने का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। 1080-81 में यह 13.4 प्रतिशत था, जो 2000-01 में बढ़कर 38.39 प्रतिशत हो गया था। वहीं, 2016-17 के दौरान इस कारोबार में 80.49 प्रतिशत का इजाफा हो गया।

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केरल के लॉटरी निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्तीय वर्ष में लॉटरी से 1,673 करोड़ का मुनाफा हुआ। 2018-19 में सरकार को 9,276 करोड़ रुपए रेवेन्यू मिला, जो उससे पिछले साल 8,977 करोड़ रुपए था। वहीं, इस साल का अनुमानित रेवेन्यू 11,800 करोड़ रुपए आंका गया है।

सूत्रों के मुताबिक, लॉटरी के टिकट प्रिंटिंग व बिकने के आंकड़ों में भी काफी इजाफा हुआ है। 2016 में करीब 60 लाख टिकट प्रिंट होते थे। यह आंकड़ा अब 1.32 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। लॉटरी बेचने वालों के पास कोई भी टिकट नहीं बचता है। इस वक्त केरल में 6 वीकली लॉटरी टिकट चल रहे हैं, जो काफी पॉपुलर हैं।