Kerala News: केरल सरकार और केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान के बीच लगातार रस्साकसी जारी है। केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान ने राज्य के 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का इस्तीफा मांगा है। केरल राजभवन के पीआरओ ने मीडिया से बातचीत में बताया कि केरल के 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को 24 अक्टूबर 2022 को सुबह 11:30 बजे तक अपना इस्तीफा देने का निर्देश पत्र जारी किया गया है। संबंधित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और रजिस्ट्रारों को भी पत्र ईमेल किया गया है। केरल की राज्य सरकार और राज्य के राज्यपाल इस समय केरल के विश्वविद्यालयों में की गई नियुक्तियों को लेकर और इसके अलावा कई और मुद्दों को लेकर आमने-सामने हैं।
आपको बता दें कि केरल के राज्यपाल और केरल सरकार के बीच लगातार टकराव देखने को मिलता रहता है इसके पहले शनिवार को मोहम्मद आरिफ खान ने केरल को ड्रग्स की राजधानी बता दिया था। उन्होंने कहा था नशा के मामले में केरल पंजाब को भी पीछे छोड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें शर्म आती है कि राज्य के राजस्व के मुख्य स्रोत शराब और लॉटरी हैं। राज्यपाल ने कहा कि जब देश के राज्यों में शराब बंदी और शराब के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं तब केरल में ये राजस्व का मुख्य स्रोत बन रहा है, और इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
शर्म आती है जिस राज्य में 100 फीसदी साक्षरता वहां का ये हाल
उन्होंने कहा मुझे शर्म आती है कि 100 प्रतिशत शिक्षित राज्य की ये दशा है जहां लोगों को शराब और लॉटरी का आदती बनाया जा रहा है। शनिवार को राज्यपाल ने कहा था, “हर कोई शराब के खिलाफ अभियान चलाता है। केरल में शराब को बढ़ावा दिया जा रहा है। क्या शर्मनाक बात है?” खान ने केरल के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति का मुद्दा भी उठाते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल की जिम्मेदारी थी।
बेबाक छवि के लिए जाने जाते हैं आरिफ खान, छात्र जीवन से की थी राजनीति की शुरुआत
छात्र जीवन से मोहम्मद आरिफ मोहम्मद खान ने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था और महज 26 साल की उम्र में ही उत्तर प्रदेश के सियाना से जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे। खान को जनता पार्टी सरकार में उत्पाद शुल्क, निषेध और वक्फ का प्रभारी उप मंत्री बनाए गए थे लेकिन लखनऊ में शिया और सुन्नियों के बीच दंगा होने के कुछ माह बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। बाद में वह कांग्रेस के इंदिरा गांधी गुट में शामिल हो गए। 1980 में एआईसीसी का संयुक्त सचिव रहते हुए खान पहली बार संसद पहुंचे। उन्हें इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में जगह मिली। बाद में राजीव गांधी सरकार में शाह बानो प्रकरण के बाद कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था