केरल की एक मुस्लिम महिला ने मजहबी मान्यताओं को दरकिनार कर पिछले छह सालों में भगवान कृष्ण के सैकड़ों चित्र बनाए हैं। हालांकि इन चित्रों को बनाने वाली 28 वर्षीय गृहिणी जसना सलीम को इसे अपने घर में रखने की इजाजत नहीं मिल सकी। ऐसे में जसना कई सालों से त्रिशूर के प्रसिद्ध गुरुवायुर श्री कृष्ण मंदिर को नन्हे कृष्ण के चित्र उपहार में देती रही हैं।
इस प्राचीन मंदिर की परंपरा और रीति-रिवाजों के चलते पेंटिंग्स को मंदिर के अंदर या गर्भगृह के सामने रखने की अनुमित नहीं है। इसके अलावा किसी गैर-हिंदू को भी इस मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। ऐसे में जसना अपनी पेंटिंग को या तो पोर्टल के सामने हुंडी के पास लगाती हैं या फिर हर साल विशु और जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर के कर्मचारियों को दान दे देती हैं।
बहरहाल, तमाम परिस्थितियों के बाद भी जसना के मन में कभी भी हिंदू देवता की पेंटिंग बनाने की भावना और लालसा कम नहीं हुई। जसना उत्तरी केरल जिले के कोइलैंडी में एक रूढ़िवादी परिवार से है। भगवान कृष्ण की तस्वीरें बनाने के चलते उन्हें अपने रिश्तेदारों और अपने समुदाय से कड़ी आलोचना मिलती है। लेकिन इसे दरकिनार करते हुए उन्होंने भगवान कृष्ण के बाल रूप की 500 से अधिक पेंटिंग बनाई हैं।
राज्य के अंदर और बाहर से भी बड़ी तादाद में लोग जसना की पेंटिंग खरीदने आते हैं। जसना एक अप्रशिक्षित चित्रकार हैं, उन्हें खुशी इसी बात से है कि, औपचारिक रूप से अनुरोध करने के बाद वह सीधे तौर पर एक हिंदू मंदिर में अपनी बनाई तस्वीरें दे सकती हैं। बता दें कि पथानमथिट्टा जिले के पांडलम के करीब स्थित उलानादु श्री कृष्णा स्वामी मंदिर ने कृष्ण के बालरूप की पेंटिंग के लिए जसना सलीम से औपचारिक तौर पर अनुरोध किया।
इसके बाद रविवार को उन्हें आमंत्रित कर उनसे पेंटिंग ली गई। जसना ने कहा कि, ‘‘मेरे लिए यह एक सपने के सच होने जैसा है। अपने जीवन में पहली बार मैं मंदिर के अंदर गई और गर्भ गृह के सामने मैंने भगवान की प्रतिमा देखी। वहीं मैंने पेंटिंग खोली जिस पर पुजारी ने तुलसी की माला चढ़ाई।’’