केरल उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश में राज्य सरकार से राज्य द्वारा संचालित शराब की दुकानों के बाहर कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करने में विफलता पर स्पष्टीकरण मांगा। फोटो और वीडियो की जांच के बाद अदालत के आदेश को लागू नहीं करने पर आबकारी आयुक्त और प्रबंध निदेशक के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने शराब की दुकानों के सामने भारी भीड़ की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा कि शादियों में केवल 20 लोगों की अनुमति है, लेकिन शराब की दुकानों के बाहर लगभग 500 लोग कतारों में खड़े हैं और किसी भी सामाजिक दूरी का पालन नहीं किया जाता है। कहा कि भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) बेचने वाले राज्य के स्वामित्व वाले बेवको आउटलेट्स के सामने भी भीड़ देखी जा सकती है। हिंदुस्तान पेंट्स त्रिशूर द्वारा दायर एक याचिका पर आबकारी आयुक्त एस अनंतकृष्णन और बेवको के एमडी स्पर्जन कुमार अदालत के सामने पेश हुए।

उन्होंने कहा कि शराब प्रतिबंधित सामग्री नहीं है और “शराब खरीदने आने वाले व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखा जाना चाहिए। उपभोक्ताओं को चिलचिलाती धूप में रखना सभ्य समाज के लिए अनुचित है। केएसबीसी द्वारा आउटलेट पर बैरिकेडिंग करने और ग्राहक को बाहर खड़ा करने और शराब खरीदने की मौजूदा प्रथा को बंद किया जाना चाहिए। दुकान परिसर के अंदर शराब खरीदने आने वाले लोगों के लिए पर्याप्त वेटिंग एरिया प्रदान किया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा, क्षेत्र के निवासियों की मुक्त आवाजाही, व्यवस्थित पार्किंग, उपद्रव करने वालों पर सख्ती आदि सभी मामलों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। आबकारी अधिकारियों को अव्यवस्था पर सख्त एक्शन लेना चाहिए।”

अदालत ने स्पष्ट किया कि शराब की दुकानों के सामने किसी को भी भीड़ लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि राज्य में अभी भी दैनिक कोविड मामलों की संख्या अधिक है।