आतंकवाद के दौर की शुरुआत के बाद 1990 के दशक में घाटी से पलायन कर चुके कश्मीरी पंडित घाटी में अपने लिए अलग बस्तियां बसाने के प्रस्ताव के मुद्दे पर बंटे हुए हैं। समुदाय के कुछ लोग जहां अलग कॉलोनियां बसाने के खिलाफ हैं, वहीं दूसरी ओर अन्य का मानना है कि उनकी सुरक्षा एवं संरक्षा के मद्देनजर यह एक आदर्श प्रस्ताव है। पहले दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के पंपोर के निवासी रहे और अब जम्मू में रहने वाले कश्मीरी पंडित एम के भट का कहना है, ‘हम अलग कॉलोनियां नहीं चाहते। हम अपने मुस्लिम भाइयों के साथ रहना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि वह अपनी जड़ों की तरफ लौटने और अपने मूल स्थान पर रहना पसंद करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘कोई भी अलग नहीं रहना चाहता। हम (पंडित और मुस्लिम) भाई हैं और हमें भाइयों की तरह रहना है। मैं सिर्फ पंपोर में थोड़ी जमीन चाहता हूं ताकि मैं वहां रह सकूं।’ भट ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह पंडितों के लिए अलग बस्तियों का मुद्दा ऐसे समय में उठा रही है जब खीर भवानी मेले का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘वह (सरकार) चाहती है कि हम (हिंदू और मुस्लिम) आपस में लड़ें। जब भी मेला आता है, वे अलग कॉलोनियों का मुद्दा उठा देते हैं। मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि हमारे बीच से किसने कहा कि हम अलग कॉलोनियां चाहते हैं।’
बहरहाल, कश्मीरी पंडित रमेश नाथ ने कहा कि कॉलोनियां स्थापित करना एक आदर्श प्रस्ताव है। नाथ ने कहा, ‘सुरक्षा के लिहाज से यह आदर्श रहेगा। हम वापसी को लेकर इच्छुक हैं लेकिन हम कहां रहेंगे? हमने अपनी जायदाद बेच दी है और अब वह वापस नहीं ली जा सकती। इसलिए अलग बस्तियां बसाना अच्छा विचार है, क्योंकि इससे हमें विश्वास एवं सद्भाव कायम करने में भी मदद मिलेगी।’
अलग कॉलोनी के समर्थक नाथ ने कहा कि जब तक हालात बेहतर नहीं होते, पंडितों के लिए अपने मूल स्थान पर लौटना काफी मुश्किल होगा। नाथ ने कहा, ‘आप देख रहे हैं कि हालात उतने अच्छे नहीं हैं। वापसी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। जब तक हालात बेहतर नहीं होते, यह काफी मुश्किल होगा।’
अलग कॉलोनी के विरोधी और मूल रूप से मध्य कश्मीर के बड़गाम के रहने वाले कश्मीरी पंडित विजय भट ने कहा कि पंडित वापसी तो चाहते हैं, लेकिन संगीनों के साये में नहीं जीना चाहते। उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि आप (मुस्लिम समुदाय) सुरक्षा दें। हम संगीनों के साये में नहीं रहना चाहते । मैं सेना और सीआरपीएफ की सुरक्षा नहीं चाहता। मैं आपका (कश्मीरी मुस्लिमों का) प्यार और आपकी सुरक्षा चाहता हूं।’
विजय ने कहा कि घाटी के मुस्लिम बहुसंख्यक उनके दुश्मन नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘स्थानीय लोग हमारे दुश्मन नहीं हैं। बेशक, कुछ उपद्रवी हैं, लेकिन ऐसे लोग तो हर जगह होते हैं। हम सदियों तक भाइयों की तरह रहे हैं और हम भाइयों की तरह ही रहेंगे।’