कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को लेकर भाजपा में टकराव बढ़ता जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने येदियुरप्पा द्वारा अपने बेटे की सीट का ऐलान करने पर आपत्ति जताई है। येदियुरप्पा ने घोषणा की थी कि उनका बेटा बीवाई विजयेंद्र शिकारीपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ेगा। इस मुद्दे पर भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।
रवि को भाजपा के कई बड़े नेताओं का आशीर्वाद
सी टी रवि, भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिमी घाट में चिकमंगलूर निर्वाचन क्षेत्र से चार बार के विधायक हैं। 55 वर्षीय रवि को भाजपा और संघ परिवार का कट्टर वफादार माना जाता है। रवि को भाजपा के कई बड़े नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त है। हाल ही में रवि ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री और उनके बेटे अब पार्टी में प्रभावी ताकत नहीं रह गए हैं। उन्होंने कहा, “बस एक बात याद रखना। उम्मीदवारों पर फैसला किसी की रसोई में नहीं होगा। किसी के बेटे होने के कारण किसी को टिकट नहीं मिलेगा। टिकटों पर फैसला किसी के घर पर भी नहीं लिया जाएगा। विजयेंद्र के सवाल पर फैसला संसदीय बोर्ड लेगा।”
हालांकि, इस टिप्पणी ने कर्नाटक में गुट और जाति-ग्रस्त भाजपा के वर्गों में खतरे की घंटी बजा दी। ये चुनावों से पहले येदियुरप्पा को खुश रखने के भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के हालिया प्रयासों के विपरीत है। राज्य में प्रमुख लिंगायत समुदाय के अग्रणी नेता के रूप में उनकी स्थिति पार्टी की महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
लिंगायत संगठनों ने रवि की टिप्पणियों पर विरोध प्रदर्शन की धमकी दी
वहीं सीटी रवि के बयान पर विजयेंद्र ने पलटवार करते हुए सुझाव दिया कि किसी को भी उनके पिता की चुप्पी को कमजोरी की निशानी के रूप में नहीं लेना चाहिए। विजयेंद्र ने चेतावनी दी कि उनकी आलोचना करने वालों को सावधान रहना चाहिए। वहीं, लिंगायत संगठनों ने रवि की टिप्पणियों पर विरोध प्रदर्शन की धमकी दी। येदियुरप्पा ने भी आग को हवा देते हुए कहा कि किसी को भी इस तरह से नहीं बोलना चाहिए। चुनाव जीतने के लिए सभी समुदायों की जरूरत है।
माना जाता है कि तब से बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने रवि को बयान देने में सावधानी बरतने की सलाह दी है। हालांकि, यह मामला अभी भी जारी रह सकता है। येदियुरप्पा को गुरुवार को चिकमंगलूर जिले के एक निर्वाचन क्षेत्र मुदिगेरे में एक रैली को रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जब भाजपा कार्यकर्ताओं ने मौजूदा पार्टी विधायक एम पी कुमारस्वामी को फिर से मैदान में उतारने का विरोध किया।
एक दूसरे से कई मायनों में अलग हैं येदियुरप्पा और रवि
वोक्कालिगा समुदाय से संबंधित होने के अलावा कर्नाटक की राजनीति में रवि का उदय एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू में येदियुरप्पा से अलग है। चिकमंगलूर के सांप्रदायिक रंग वाले क्षेत्र में रवि पहली बार बाबरी युग के बाद (1990 के दशक में) चिकमंगलूर के बाबाबुदनगिरी में एक मंदिर के नियंत्रण के लिए एक हिंदुत्व आंदोलन में भाजपा के युवा नेता के रूप में उभरे।
तीन दशक बाद, रवि की राजनीति का ब्रांड कट्टर हिंदुत्व बना हुआ है वहीं, येदियुरप्पा को उदार नेता माना जाता है। रवि के विवादास्पद बयानों में से एक कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को ‘सिद्धारमुल्ला खान’ के रूप में संदर्भित करना शामिल है। इस अंतर ने अक्सर रवि और येदियुरप्पा को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया है।