कर्नाटक के शिवमोगा में टीपू सुल्तान के समय के युद्ध में इस्तेमाल नहीं किए गए 500 से ज्यादा रॉकेट बम मिले हैं। इन्हें पुरातत्व, संग्रहालय और विरासत विभाग ने खुदाई के दौरान खोजा है। द हिंदू की खबर के मुताबिक ये रॉकेट बम बुधवार (25 जुलाई) होसनगर तालुक के नागरा गांव में मिले। 2002 में ऐसे ही 102 रॉकेट बम मिले थे जोकि नागरा गांव के नागराजा राव के कुएं में डंप हालत में थे। पुरातत्वविदों का तब मानना था कि वे रॉकेट बम 18वीं शताब्दी के थे। बुधवार को विभाग की तरफ से उसी जमीन पर खुदाई की गई। 2002 में रॉकेट बमों का पता तब लगा था जब कुएं पर गाद के जमा होने से ढेर लग गया था, ढेर को हटाने पर रॉकेट बमों का जखीरा सामने आ गया था। पुरातत्व विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर आर शेजेश्वरा ने मीडिया को बताया कि नागरा को तब बिदानूरु कहा जाता था, जोकि मैसूर राज्य का महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र था और टीपू सुल्तान ने यहां एक टकसाल और एक शस्त्रागार भी स्थापित किया था।
उन्होंने बताया कि टीपू सुल्तान ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्धों में रॉकेट का इस्तेमाल किया था। इन तथ्यों के आधार पर, इतिहासकार इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बिना इस्तेमाल किए गए रॉकेट बम टीपू सुल्तान के समय से संबंधित हैं। शेजेश्वरा ने बताया कि बुधवार को मिले रॉकेट बम भी पहले के रॉकेट बमों की तरह ही लोहे के खोखे से बने हुए हैं, जिनमें सल्फर, चारकोल और पोटेशियम नाइट्रेट को मिलाकर बनाए गए काले रंग का पाउडर भरा हुआ है। रॉकेट बम 7 से 10 इंच लंबे और 3 मीटर चौड़ाई में हैं और वे एकदम खस्ता हालत में हैं।
इंटरनेट से प्राप्त जानकारी के मुताबिक Mysorean rockets नाम से एक विकीपीडिया पेज भी बना हुआ है जिसमें दावा किया गया है कि टीपू सुल्तान अंग्रेजों से लड़ने के लिए रॉकेट बम का इस्तेमाल करते थे और उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकेट पश्चिम वालों से बेहतर थे। टीपू सुल्तान के रॉकेट बम तकनीकि तौर पर ज्यादा सक्षम बताए गए हैं।