कर्नाटक के एक पूर्व मंत्री ने अपने अपहरण का दावा करते हुए बेंगलुरु के पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है। पूर्व विधायक वर्तुर प्रकाश का कहना है कि 25 नवंबर को आठ लोगों ने कथित तौर पर उनका अपहरण कर लिया था। किडनैपर्स ने उन्हें छोड़ने के लिए 30 करोड़ रुपए की फिरौती भी मांगी थी। शुरुआती जांच में सामने आया है कि प्रकाश का जमीन को लेकर झगड़ा था और उन्हें कुछ समय से धमकी भरे फोन मिलते थे।
प्रकाश ने मंगलवार को अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि 25 नवंबर को वे और उनका ड्राइवर सुनील कोलार के बेगली होशाहल्ली में फार्महाउस में थे। इसके बाद वे एसयूवी से निकले। शाम करीब 7 बजे आठ लोगों का गैंग दो कारों में सवार हो कर आया और एसयूवी को रोक दिया। गैंग ने कथित तौर पर दोनों को घातक हथियारों के बल पर डराया और प्रकाश को अपनी गाड़ी में बिठा लिया। पूर्व मंत्री का कहना है कि अपहरणकर्ताओं ने उनके हाथ-पैर बांध दिए और उनसे 30 करोड़ रुपए की फिरौती की मांग की। इस दौरान उनके और उनके ड्राइवर के साथ काफी बदसलूकी की गई।
प्रकाश ने एफआईआर में कहा है कि किडनैपरों द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद उन्होंने अपने दोस्त नयाज को फोन किया और उससे 48 लाख रुपए लाने के लिए कहा। किडनैपरों ने कोलार में पैसे ले लिए, पर प्रकाश और उनके ड्राइवर का टॉर्चर जारी रखा। 27 नवंबर को जब उनका ड्राइवर टॉर्चर के दौरान बेहोश हो गया, तो गैंग ने उसे मरा समझकर कार से बाहर फेंक दिया। पुलिस का कहना है कि सुनील इसके बाद होश में आया और भागने में कामयाब हो गया। इसकी सूचना मिलते ही किडनैपर्स ने प्रकाश को भी गाड़ी से बाहर फेंक दिया और फरार हो गए। आसपास मौजूद लोगों ने प्रकाश को केआरपुरम के अस्पताल पहुंचाया।
इस बीच कुछ असत्यापित पक्षों से सामने आया है कि मंत्री का अपहरण उनके पशु व्यापार में बड़ा कर्जा होने की वजह से हुआ। बताया गया है कि प्रकाश पर तमिलनाडु के किसानों और व्यापारियों का बड़ा बकाया है। इसके अलावा तीन साल पहले ही कोलार की ग्रामीण पुलिस ने वर्तुर प्रकाश पर विधायक रहते हुए एक दलित परिवार की जमीन छीनने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। उनके साथ छह अन्य लोगों पर फर्जी दस्तावेज बनाने और दलितों को धमकी देने के आरोप लगे थे।