कर्नाटक सरकार और उससे सहायता प्राप्त स्कूलों को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के राजनीतिक जीवन एवं उपलब्धियों पर एक पुस्तक अपने पुस्तकालयों के लिए खरीदने के शिक्षा विभाग के एक आधिकारिक निर्देश के बाद विवाद पैदा हो गया है। शिक्षा विभाग के आयुक्त कार्यालय से 28 मार्च को लिखा गया पत्र अब प्रकाश में आया है। इस पर प्राथमिक शिक्षा के निदेशक का हस्ताक्षर है। यह पत्र सरकार और उससे सहायता प्राप्त स्कूलों को अपने पुस्तकालयों के लिए ‘इट्टा डिट्टा हेज्जे’ शीर्षक वाली पुस्तक खरीदने के लिए अधिकृत करता है और इजाजत देता है।

पत्र में कहा गया है कि पुस्तक सिद्धारमैया के राजनीतिक जीवन, लोकप्रिय योजनाओं और उपलब्धियों पर है।  खबरों के मुताबिक प्रकाशक 300 रूपये प्रति पुस्तक की दर से करीब 20,000 बेचने में कामयाब रहे हैं। इसे पुस्तक के जरिए एक व्यक्ति को प्रचारित करने की कोशिश के तौर पर निंदा करते हुए विधानसभा में विपक्षी नेता जगदीश शेट्टार ने इसे वापस लिए जाने की मांग की।

इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं इससे वाकिफ नहीं हूं। मुझे अभी अभी पता चला है कि तुमाकुरू से महादेवेया नाम के किसी व्यक्ति ने यह पुस्तक लिखी है, किसी ने पुस्तकालयों से इसे खरीदने को कहा है, मैं नहीं जानता। मैं जांच करूंगा कि किसने यह किया है। ’’ यह पूछे जाने पर कि क्या इस पुस्तक को अब वापस ले लिया जाएगा, उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बारे में कुछ नहीं जानता। इस बारे में जाने बगैर मैं कैसे कह सकता हूं कि मैं इसे वापस ले लूंगा।’’