कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज कम से कम 62 आपराधिक मामले वापस लेने का फैसला किया है। हालांकि सरकार के इस फैसले से न्याय विभाग सहमत नहीं था लेकिन इसके बावजूद सरकार ने यह फैसला किया है। जिन भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए गए हैं, उनमें मौजूदा विधायक और सांसद भी शामिल हैं।

प्रदेश सरकार ने कर्नाटक के गृह मंत्री बासवाराज बोम्मई की अध्यक्षता वाली एक उप-कमेटी की सलाह पर यह कदम उठाया है। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, डीजी और आईजी कर्नाटक पुलिस के साथ ही न्याय विभाग ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। इसके बावजूद सरकार ने विरोध को दरकिनार कर आरोपी कई भाजपा नेताओं के खिलाफ मामले वापस लेने का फैसला किया है। जिन नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए गए हैं, उनमें कर्नाटक के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी और पर्यटन मंत्री सीटी रवि का नाम शामिल है।

इनके अलावा होसपेट से विधायक आनंद सिंह के खिलाफ भी मामला वापस लिया गया है। यह मामला होसपेट तालुक ऑफिस को ब्लॉक करने और उसमें मौजूद 300 कर्मचारियों के उत्पीड़न से जुड़ा था।

कृषि मंत्री बीसी पाटिल के खिलाफ साल 2012 में दर्ज मामला भी वापस ले लिया गया है, जिसमें बीसी पाटिल पर अपने समर्थकों के साथ भगवान गणेश की मूर्ति विसर्जन के समय पुलिस पर पथराव और पुलिस के वाहन क्षतिग्रस्त करने का आरोप था।

इनके अलावा मैसूर के सांसद प्रताप सिम्हा के खिलाफ साल 2017 में तेज गति से गाड़ी चलाने, पुलिस बैरिकेड को तोड़ने और एडिश्नल एसपी को घायल करने का मामला दर्ज था, उसे भी वापस ले लिया गया है। भाजपा समर्थकों और निर्दलीय सांसद सुमालता अंबरीश, येलबुर्गा विधायक हल्लपा अचर और सीएम के राजनैतिक रणनीतिकार और सांसद रेनुकाचार्य और पूर्व कागवाड विधायक केपी मेगान्नवार के खिलाफ दर्ज मामले को भी वापस ले लिया गया है।

कर्नाटक के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने न्यूज 18 के साथ बातचीत में इस रुटीन प्रक्रिया करार दिया है। उन्होंने कहा कि जनहित में ऐसे मामले वापस लिए गए हैं। मधुस्वामी ने कहा कि हमने पहले भी कांग्रेस और जेडीएस नेताओं के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए हैं लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि हम बेंगलुरू हिंसा में शामिल दंगाइयों को भी माफ कर देंगे।