कर्नाटक में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में अंदरूनी कलह की सुगबुगाहट तेज हो गई है। कर्नाटक उन कुछ राज्यों में से है, जहां पर कांग्रेस तुलनात्मक रूप से मजबूत है। साल 2019 में पार्टी की सत्ता से बाहर होने के कुछ समय बाद से ही सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच कई बार तनातनी देखने को मिली।
अब विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दोनों के बीच यह लड़ाई एक बार फिर से सबके सामने आ गई है। दोनों के समर्थक अपने नेता को सीएम पद का उम्मीदवार बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, डीके शिवकुमार ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने की इच्छा जाहिर करते हुए पहला कदम आगे बढ़ा दिया है।
2018 में कांग्रेस ने जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी और एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।
वहीं, कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद शिवकुमार ने पार्टी के संकटमोचक के रूप में अपने लिए जगह बनाई और उन्हें राज्य इकाई का प्रमुख बनाया गया। अब शिवकुमार और सिद्धरमैया के बीच ये तनाव तब शुरू हुआ जब दोनों के समर्थकों ने उन्हें अगले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया।
वोक्कालिगा समुदाय के प्रभावशाली नेता शिवकुमार ने अगले मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई है। वोक्कालिगा वोटरों को अपने लिए मजबूत करने के प्रयास की सिद्धारमैया के समर्थक और उनके वफादार जमीर अहमद ने आलोचना की है। अहमद ने कहा कि किसी एक समुदाय के वोट इकट्ठा करके कोई भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है।
वहीं, इस बार सिद्धारमैया का 75वां जन्मदिन उनके समर्थक खास तरीके से मनाने की तैयारियां कर रहे हैं और इसे “सिद्धारमोत्सव” के रूप में मनाने की चर्चा है। उनके समर्थक 3 अगस्त को दावणगेरे में एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन करने वाले हैं। वहीं, राज्य कांग्रेस में चल रही इस अंतर्कलह से बीजेपी खेमे में काफी खुशी का माहौल है। राज्य के राजस्व मंत्री आर अशोक ने कहा कि कर्नाटक कांग्रेस की अंदरूनी कलह पंजाब की तरह ही है।