उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस कमिश्नर के पीआरओ का गैंगस्टर की बुलेट से फर्राटा भरने के मामले में पुलिस कमिश्नर ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीणा ने बताया कि पीआरओ अजय मिश्रा पर गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए उन्हें लाइन हाजिर कर दिया गया है। वहीं इस मामले की जांच जेसीपी आनंद प्रकाश तिवारी को सौंपी गई है। साथ ही चार दिन के अंदर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।

वहीं अजय मिश्रा का कहना है कि उन्होंने यह बुलेट एक ब्रोकर के माध्यम से खरीदी थी। उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि यह बुलेट किसी गैंगस्टर की है। उन्होंने साल 2020 में 90 हजार रुपये में बुलेट खरीदी थी, जिसमें 50 हजार रुपए का पेमेंट उन्होंने चेक से किया था, जबकि 40 हजार रुपए उन्होंने बलराम राजपूत को नकद दिया था।

बता दें, दारोगा अजय मिश्रा का विवादों से पुराना नाता रहा है। आरोप है कि साल 2018 में एक छात्रा की खुदकुशी में मामले में वो जेल गए थे। वहीं से बलराम राजपूत उनके संपर्क में आया। बाद में बलराम राजपूत को किसी प्रकार की राहत देने के बदले उन्होंने बाइक उससे अपने अपने बेटे उत्कर्ष के नाम पर खरीदी थी।

आरोप है कि गाड़ी पहले बलराम राजपूत की पत्नी सोनी राजपूत के नाम पर थी। वहीं सोनी राजपूत पर भी दो केस दर्ज हैं। बलराम राजपूत पर मादक पदार्थों की तस्करी हत्या के प्रयास लूट अपहरण डकैती समेत 16 मुकदमे विभिन्न थानों में दर्ज हैं। इसके अलावा हरियाणा के सिरसा में भी उसके खिलाफ 4 केस दर्ज हैं। बलराम राजपूत पर मादक पदार्थ की तस्करी करने, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट, लूट, अपहरण और डकैती जैसे मामले दर्ज हैं।

कानपुर के बिकरू कांड में पुलिस कर्मियों की सांठगांठ का मामला आया था सामने-

बता दें, 2 जुलाई 2020 की आधी रात 12:45 बजे बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने डीएसपी और एसओ समेत 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। एक-एक पुलिसकर्मी को दर्जनों गोलियां मारी गईं थीं। पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर आठ दिन के भीतर विकास दुबे समेत छह बदमाशों को एनकाउंटर मार गिराया था। दो जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दुबे व उसके साथियों पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढ़े बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरू गांव में दबिश दी गई। यहां पर पहले से ही विकास दुबे और उसके गुर्गे घात लगाए बैठे थे। घर पर पुलिस को रोकने के लिए जेसीबी लगाई थी। पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उनपर छतों सेे गोलियां बरसानी शुरू कर दी थीं। चंद मिनटों में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद सभी फरार हो गए थे। उस वक्त बदमाशों और पुलिस की सांठगांठ का मामला सामने आया था। जिसमें कई पुलिस कर्मियों से पूछताछ की गई थी।