कानपुर में एक टेलीविजन पत्रकार की 16 साल पहले नृशंस हत्या हुई थी। अब कानपुर की अदालत ने चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसमें पत्रकार के सहकर्मी और उसके दो भाई भी शामिल हैं। जून 2009 में 26 वर्षीय बृजेश गुप्ता का शव गोविंद नगर में खड़ी एक कार में कपड़े में लिपटा हुआ मिला था और उस पर धारदार और हथियारों से कई चोटों के निशान थे।

9 गवाहों से हुई पूछताछ

सरकारी वकील गौरेंद्र त्रिपाठी के अनुसार अदालत ने अभियोजन पक्ष के 9 गवाहों से पूछताछ के बाद आरोपियों को दोषी पाया। अदालत ने कनिका ग्रोवर (जो उसी टेलीविजन चैनल में एंकर के रूप में काम करती थीं), उनके दो भाइयों सनी और मुन्नी और उनके दोस्त सुरजीत सिंह उर्फ ​​शंटी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कनिका की मां अलका ग्रोवर और उनके चाचा राजीव कुमार को भी मामले से जुड़े सबूत नष्ट करने में उनकी भूमिका के लिए पांच साल के कारावास की सजा सुनाई।

क्या है पूरा मामला?

मुकदमे के दौरान जमानत पर बाहर रहे सभी छह आरोपियों को मंगलवार को अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद हिरासत में ले लिया गया। गौरेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें जेल भेज दिया गया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार यह मामला 14 जून 2009 का है, जब रतनलाल नगर निवासी ने इलाके में प्रेस स्टिकर लगी एक कार को काफी देर से खड़ी देखी। उसे यह संदिग्ध लगा, तो उसने अपने दोस्तों को सूचित किया और बाद में पुलिस को सूचित किया। जब कार का दरवाज़ा खोला गया, तो पुलिस को बृजेश का शव मिला।

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बृजेश के भाई प्रभात कुमार ने बाद में गोविंद नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि बृजेश ने उन्हें बताया था कि वह कनिका और बाकी लोगों को घर छोड़कर वापस आ जाएगा। जब बृजेश उस रात घर नहीं लौटा, तो उसके परिवार ने उसकी तलाश शुरू कर दी। 14 जून को उन्हें रतनलाल नगर के पास उसके वाहन के विवरण से मिलती-जुलती एक कार खड़ी होने की सूचना मिली। जब वे मौके पर पहुंचे, तो उन्हें बृजेश का शव मिला। उसकी लाइसेंसी बंदूक और सोने के गहने गायब थे।

गौरेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि कनिका और उसका परिवार बृजेश से रंजिश रखता था क्योंकि वह कथित तौर पर कनिका को नियमित रूप से परेशान करता था। एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने सबसे पहले सुरजीत को गिरफ्तार किया; उसने पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार कर लिया, जिसके बाद अन्य आरोपियों की भी गिरफ्तारी हुई। गौरेंद्र त्रिपाठी ने कहा, “जांच से पता चला कि आरोपियों ने बृजेश की उनके घर पर हत्या कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने उसके शव को कपड़े में लपेटा और उसकी कार में रख दिया।”

गौरेंद्र त्रिपाठी ने आगे कहा कि कनिका की मां सहित अन्य आरोपियों ने सबूत मिटाने के लिए घटनास्थल से खून के धब्बे साफ करने की कोशिश की। बाद में, कनिका के चाचा कार को रतनलाल नगर ले गए और वहां पार्क करने के बाद मौके से फरार हो गए। जिला सरकारी वकील (कानपुर) दिलीप अवस्थी ने कहा कि कनिका के परिवार को यह भी संदेह था कि बृजेश ने उसके पिता को एक आपराधिक मामले में झूठा फंसाया है, जिससे उनके खिलाफ उनकी नाराजगी और बढ़ गई। बचाव पक्ष के वकील दीन दयाल प्रजापति ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ अपील दायर करेंगे।