बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने आज महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से राजभवन जाकर मुलाकात की। उन्होंने अपने साथ हुई ‘‘नाइंसाफी’’ के बारे में उन्हें बताया। उपनगर बांद्रा के पाली हिल में कंगना के बंगले में कथित तौर पर अवैध निर्माण के कुछ हिस्सों को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा ढहाने के बाद उन्होंने यह मुलाकात की है।
राजभवन में हुई मुलाकात के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए अदाकारा ने कहा, “मैंने राज्यपाल से मुलाकात की। उन्होंने मुझे बेटी की तरह सुना। मैं एक नागरिक के तौर पर उनसे मिलने आयी। राजनीति से मेरा कोई लेना-देना नहीं है।” उन्होंने कहा, “मैंने अपने साथ हुई नाइंसाफी और जो भी अनुचित हुआ, उस बारे में उन्हें बताया। यह अभद्र बर्ताव था।” कंगना ने पिछले दिनों महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से की थी और मुंबई पुलिस को भी सवालों के कटघरे में खड़ा किया था।
वहीं संजय राउत ने आरोप लगाया है कि भाजपा कंगना रनौत का समर्थन कर रही है, जो कि दुर्भाग्यशाली है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे एक लेख में संजय राउत ने दावा किया है कि मुंबई की अहमियत को कम करने की कोशिश हो रही है और शहर को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। संजय राउत ने ये भी लिखा कि ‘ऐसे मुश्किल समय में महाराष्ट्र के मराठी लोगों को एक हो जाना चाहिए।’
संजय राउत ने भाजपा पर सुशांत सिंह राजपूत मामले और कंगना रनौत का समर्थन कर बिहार चुनाव में फायदा उठाने का भी आरोप लगाया। वहीं संजय राउत के आरोपों पर पलटवार करते हुए कंगना रनौत ने कहा है कि ‘क्या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को शिवसेना के गुंडों द्वारा मेरा दुष्कर्म और मेरी लिंचिंग करने देना चाहिए?’
कंगना ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “यह दुर्भाग्यशाली है कि भाजपा उसे सुरक्षा दे रही है? जिसने ड्रग या माफिया रैकेट का भंडाफोड़ किया। भाजपा को चाहिए कि वह शिवसेना के गुंडों को मेरे साथ मार पिटाई, बलात्कार या मेरी खुलेआम लिंचिंग करने दे। उनकी हिम्मत कैसे हुई जो वो एक माफिया के खिलाफ खड़ी एक युवा महिला को सुरक्षा दे रहे हैं।”
हाल ही में एक रिटायर्ड नेवी अफसर पर हमले के मामले में भी शिवसेना आलोचकों के निशाने पर है। अब इस मुद्दे पर बयान देते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय राउत ने कहा है कि यह एक आक्रामक प्रतिक्रिया थी लेकिन यह कोई सुनियोजित हमला नहीं था। हम इस बात से इंकार नहीं कर रहे हैं कि वह शिवसेना के कार्यकर्ता नहीं थे। हालांकि उन्होंने कहा कि “इस तरह की घटनाएं अन्य राज्यों में भी हो रही हैं लेकिन वहां सरकार पर सवाल खड़े नहीं हो रहे हैं? यह एक जवाबी कार्रवाई थी लेकिन इसकी शुरुआत हमने नहीं की है।”