कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने अपनी इच्छा से पंजाब के प्रभारी पद से इस्तीफा दिया है। वे 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में विपक्ष की ओर से अपने खिलाफ चलाए जा रहे शरारतपूर्ण अभियान से व्यथित थे। मीडिया से बातचीत में पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने इन सुझावों को खारिज कर दिया कि कांग्रेस दबाव के आगे उन्हें हटाने के लिए झुक गई। उन्होंने जोर दिया कि चुनाव को ध्यान में रख कर विपक्ष ने उनके खिलाफ गलत, दुराग्रहपूर्ण और शरारतपूर्ण विवरण पेश किया।
सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कमलनाथ हरियाणा के प्रभारी महासचिव बने हुए हैं। रविवार को उन्हें इस पद पर नियुक्त किया था और पंजाब और हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया गया था। पंजाब में अगले साल चुनाव होने हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के हवाले से खबरों में कहा गया था कि कमलनाथ ने कांग्रेस के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। कमलनाथ के खिलाफ आप के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि आप की कोई विश्वसनीयता नहीं है और उसका अवसरवादी एजंडा है। चुनाव को ध्यान में रख कर कांग्रेस नेता को निशाना बना रही है।
इस बीच कमलनाथ ने गुरुवार को इन खबरों को खारिज कर दिया कि 1984 के सिख विरोधी दंगों में उनकी कथित भूमिका के लिए उन्हें पंजाब के प्रभारी पद से हट जाने के लिए कहा गया। बकौल कमलनाथ उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए पद छोड़ा कि राज्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों से ध्यान नहीं भटके। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि पंजाब के प्रभारी पद से हटने के लिए पत्र में उन्होंने जो कारण दिए हैं, उसे उन्होंने समझा।
उन्होंने कहा- मैंने राहुल गांधी को फोन किया और उनसे कहा कि मैं पत्र भेज रहा हूं। मैंने उनको पत्र पढ़ कर सुनाया। उन्होंने मुझसे कहा कि पत्र को कांग्रेस अध्यक्ष के पास भेजें। मैंने सोनिया गांधी को फोन किया और उनसे कहा कि यह पार्टी के हित में है और हमें उन्हें ऐसी राजनीति नहीं करने देना चाहिए। कमलनाथ ने कहा कि पत्र मिलने के बाद सोनिया ने उनसे बात की और उनसे कहा कि अगर यह आपका कारण है तो फिर ठीक है।
यह पूछने पर कि क्या सिख विरोधी दंगों में उनकी भूमिका के आरोप सामने आने के बाद वे प्रभारी पद से हटे, कमलनाथ ने आश्चर्य से कहा कि 32 साल बाद दंगों में उनकी कथित भूमिका के मुद्दे को क्यों उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिख विरोधी दंगों की जांच करने वाले नानावती आयोग ने उन्हें बरी कर दिया था। उन्होंने कहा कि सही मुद्दे से ध्यान भटकाने की यह राजनीतिक साजिश है। उन्होंने याद दिलाया कि जब संसद में स्थगन प्रस्ताव आया तो उस पर अकाली बोले, लालकृष्ण आडवाणी बोले। किसी ने भी मेरी तरफ उंगली नहीं उठाई।
कमलनाथ ने दावा किया कि पंजाब को प्रभावित करने वाले सही मुद्दे हैं नशा, किसानों की दुदर्शा, कुप्रशासन जिसकी अनदेखी की जा रही है। उनके पूर्व कैबिनेट सहयोगी एमएस गिल द्वारा कथित तौर पर लिखे गए एक पत्र के जवाब में कमलनाथ ने कहा कि उन्होंने कभी भी 1984 के दंगों का मुद्दा उनके समक्ष नहीं उठाया।
गिल ने उनकी नियुक्ति को बुधवार को घाव पर नमक छिड़कने जैसा बताया था।
कमलनाथ ने इन बातों को खारिज कर दिया कि नानावती आयोग ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट को संपूर्णता में पढ़ा जाना चाहिए। संसद भवन के नजदीक रकाबगंज गुरुद्वारे में वे थे जब उन्हें बताया गया कि वहां भीड़ जमा है। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनसे कहा कि अतिरिक्त सुरक्षा बलों के पहुंचने तक वे भीड़ से बातचीत करें। कमलनाथ बोले कि सुरक्षा बलों के पहुंचते ही मैं वहां से चला गया।