Hanuman Jayanti 2019:  पूरे देश में आज हनुमान जयंती का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज के खास दिन पर आपको हम एक ऐसे बाबा के बारे में बता रहे हैं जिनके बारे में बताया जाता है कि वो हनुमान के ही अवतार थे। दरअसल नीम करौली बाबा का मंदिर देश में ही नहीं विदेशों में भी फेमस है। बताया जाता है कि इस मंदिर में ऐप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स से लेकर फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग तक आ चुके हैं। यही नहीं उनका कहना है कि यहां आने के बाद उनकी परेशानियां भी दूर हुई हैं।

कौन हैं नीम करौली बाबा: बता दें कि नीम करौली बाबा का मंदिर देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में स्थित है। नैनीताल से 65 किलोमीटर दूर कैंची में नीम करौली बाबा का आश्रम है। बताया जाता है कि बाबा का निधन 11 सितंबर 1973 को हुआ था, लेकिन आज भी बाबा के मंदिर पर श्रद्धालु रहते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है। यहां 5 देवी-देवताओं के मंदिर है, जिसमें एक हनुमान जी का भी एक मंदिर है। भक्तों का मानना है कि बाबा हनुमान जी के ही अवतार थे।

कौन हैं बाबा: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाबा का जन्म यूपी के ब्राह्मण परिवार में दुर्गा प्रसाद शर्मा के घर हुआ था। बाबा को बचपन में लक्ष्मी नारायण शर्मा कहा जाता था। भक्त ऐसा बताते हैं कि एक बार बाबा को बस में बिना टिकट सफर करने के चलते नीम करौली गांव में उतार दिया गया। लेकिन इसके बाद बस वहां से आगे बढ़ ही नहीं पाई। वहीं जब किसी व्यक्ति द्वारा बस में दोबारा बाबा को बैठाया गया तो बस स्टार्ट हो गई।

पीएम मोदी से मुलाकात में मार्क जुकरबर्ग ने किया था जिक्र: दरअसल 2015 में पीएम नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से मुलाकात की थी। इस दौरान जुकरबर्ग ने नीम करौली बाबा का जिक्र किया। मार्क ने बताया कि इस मंदिर में जाने के लिए उन्हें ऐप्पल के को- फाउंडर स्टीव जॉब्स ने कहा था। हालांकि मार्क ने मंदिर का नाम नहीं बताया, लेकिन खबरों के मुताबिक यह मंदिर नीम करौली बाबा का ही मंदिर था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जुकरबर्ग से पहले स्टीव जॉब्स भी इस मंदिर में दर्शन कर चुके हैं।

 

1974 में मंदिर आए थे स्टीव जॉब्स: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1974 में स्टीव जॉब्स अपने दोस्तों के साथ बाबा के मंदिर पहुंचे थे। ऐसा बताया जाता है कि स्टीव संन्यास लेने के मकसद से यहां आए थे लेकिन उनके पहुंचने के पहले बाबा का देहांत हो गया था। ऐसे में कुछ दिन की आराधन के बाद उन्हें प्रेरणा मिली की उन्हें नई कंपनी बनानी चाहिए।