स्कूल यूनिफॉर्म पहने कुछ छात्र एक कंक्रीट के स्ट्रक्चर की छत जैसी दिखने वाली जगह पर बैठे थे। सतह पर एक लंबी दरार थी, जिसे देखने के बाद उनमें से एक लड़के ने एक पतली तार को उसमें डालने की कोशिश की। तभी एक वयस्क की आवाज आई, जिसने उसे इसे और अंदर धकेलने के लिए उकसाया। लड़का अपने दोस्त द्वारा पकड़े गए मापने वाले पैमाने के सामने तार को पकड़ता है और ऊँची आवाज़ में घोषणा करता है— “3 सेमी!” वयस्क तुरंत करेक्ट करता है, “31 मिमी है।”

यह दृश्य गुजरात के जूनागढ़ जिले के भेसन तालुका स्थित खजूरी हदमतिया गांव के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय की छत पर रिकॉर्ड किया गया था। इस वीडियो ने राज्य के शिक्षा मंत्री प्रफुल पनशेरिया का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे स्कूल का दौरा करें, स्ट्रक्चर को तत्काल ध्वस्त करें और घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

ढलाई के अगले दिन ही दरारें पड़ चुकी थीं

दरअसल, 19 मार्च को समग्र शिक्षा अभियान की स्मार्ट स्कूल परियोजना के तहत स्कूल भवन के भूतल स्लैब की ढलाई की गई थी। लेकिन अगले ही दिन ग्रामीणों ने देखा कि छत में दरारें पड़ चुकी थीं। उन्होंने इस मामले की शिकायत स्थानीय अधिकारियों से की, लेकिन उनकी आवाज अनसुनी रह गई। एक ग्रामीण ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “स्लैब के निर्माण के अगले ही दिन इसमें बड़ी दरारें आ गईं। हमने तालुका स्तर के अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया, लेकिन हमारा गांव राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं माना जाता, इसलिए हमारी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया।”

इस अनदेखी से परेशान ग्रामीणों ने छत की स्थिति का वीडियो बनाकर सीधे शिक्षा मंत्री पनशेरिया को भेजने का फैसला किया। वीडियो देखने के बाद मंत्री ने तुरंत जिला परियोजना अभियंता, एक थर्ड पार्टी इंजीनियर और अन्य सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञों को स्कूल का निरीक्षण करने के आदेश दिए। इसके अलावा, स्थानीय नेताओं को भी इस जांच में शामिल किया गया।

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मंत्री पनशेरिया ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “अगर निर्माण के अगले ही दिन यह हाल है, तो कल्पना कीजिए कि अगर एक-दो महीने बाद छत किसी छात्र पर गिर जाती तो क्या होता? मैं खुद को माफ नहीं कर पाता।” उन्होंने निर्देश दिया कि एक सप्ताह के भीतर इस निर्माण को ध्वस्त कर दिया जाए, क्योंकि छत के नीचे अब भी लोहे और लकड़ी की शटरिंग सामग्री बरकरार थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार निर्माण एजेंसी को सिविल कार्य के लिए 1,400 रुपये प्रति वर्ग फीट का भुगतान कर रही है और शिक्षा प्रणाली में किसी भी तरह का कुप्रबंधन या कदाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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निरीक्षण के दौरान निर्माण की गुणवत्ता बेहद असंतोषजनक पाई गई। मंत्री ने कहा, “यह कार्रवाई शिक्षा के बुनियादी ढांचे में पारदर्शिता और जवाबदेही का संदेश देने के लिए की जा रही है। गुणवत्ता से किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और इस मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

गांधीनगर में समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक रंजीत कुमार जे ने पुष्टि की कि निर्माण एजेंसी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि तालुका स्तर के अधिकारियों और अन्य सिविल विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, उसी एजेंसी द्वारा किए गए अन्य निर्माण कार्यों की भी जांच होगी।

सूत्रों के अनुसार, सिविल कार्य का ठेका राजकोट स्थित एक एजेंसी को दिया गया था। अब उसे विध्वंस रिपोर्ट तैयार कर, कार्य की तस्वीरों के साथ गांधीनगर स्थित शिक्षा विभाग कार्यालय में जमा करने का निर्देश दिया गया है।