उत्तराखंड सरकार (Uttarkhand government) ने बुधवार को जोशीमठ (Joshimath) के प्रभावित परिवारों को 1.5 लाख रुपये की अंतरिम राहत देने की घोषणा की है। ये राशि उन्हें दी जाएगी जिन्हें जोशीमठ में भूमि धंसने के बाद सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। यहां जमीन धंसने के चलते कई मकानों और इमारतों को गिराने की नौबत आ गई है। प्रभावित लोग इन्हें गिराने नहीं दे रहे। उनका कहना है कि पहले उचित मुआवजा दिया जाए। इस मांग को लेकर लोगों ने धरना-प्रदर्शन भी किया। इसके बाद सरकार की ओर से अंतरिम राहत की घोषणा की गई।
प्रत्येक परिवार को 1.50 लाख रुपये की सहायता
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम (Secretary to Uttarakhand chief minister R Meenakshi Sundaram) ने कहा, “प्रत्येक परिवार को 1.50 लाख रुपये की तत्काल अंतरिम सहायता दी जाएगी। ‘असुरक्षित’ चिह्नित होटल की दो इमारतों के अलावा किसी अन्य इमारत को नहीं गिराया जा रहा है। अब तक 723 भवनों में दरारें देखी गई हैं।”
सरकार के इस कदम को लेकर पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “”हमारी सरकार स्थानीय लोगों के हितों का पूरा ध्यान रख रही है। भू-धंसाव से जो स्थानीय लोग प्रभावित हुए हैं उनको बाजार दर पर मुआवजा दिया जाएगा। बाजार की दर हितधारकों के सुझाव लेकर और जनहित में ही तय की जाएगी।”
जिला प्रशासन के अनुसार उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में 723 इमारतों/मकानों में दरारें आ गई हैं। अब तक 131 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।
चमोली के जिला मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना (Himanshu Khurana) ने एएनआई से बातचीत में बताया, “हम स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ संपर्क में हैं और नई दरारें दिखाई देने पर इसे हमारे संज्ञान में लाने के लिए कहा है। 131 परिवारों को राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है।”
केंद्रीय टीम जमीन धंसने से हुए नुकसान का सर्वेक्षण करेगी
जिलाधिकारी ने कहा कि एक केंद्रीय टीम जमीन धंसने से संपत्ति को हुए नुकसान का सर्वेक्षण करेगी और राहत एवं बचाव प्रयासों में स्थानीय प्रशासन के साथ समन्वय करते हुए आगे का रास्ता सुझाएगी।
हिमांशु खुराना ने कहा, “आईआईटी रुड़की (IIT Roorke) के वैज्ञानिकों की एक टीम को कर्णप्रयाग के प्रभावित बहुगुणा नगर की इमारतों का निरीक्षण करने के लिए कहा गया है, जहां दरार की सूचना मिली।”
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (Indian Institute of Remote Sensing) ने एक अध्ययन में पाया है कि जोशीमठ और इसके आसपास के इलाके हर साल 6.5 सेमी (2.5 इंच) की दर से धंस रहे हैं। सैटेलाइट डाटा (Satellite Data) की मदद से इसकी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है। जोशीमठ में हर साल कुछ समय के लिए मंदिर (Temple) पानी में डूबे रहते हैं।