जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव से पहले छात्र राजद, बापसा और एनएसयूआई ने गठबंधन करने के लिए कई चरणों की वार्ता की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद पार्टियों ने अकेले-अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। कांग्रेस से संबद्ध छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रही है।
बापसा ने कांग्रेस समर्थित छात्र इकाई की मौजूदगी से जताई आपत्तिः बिरसा आंबेडकर फूले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) अध्यक्ष एवं महासचिव पदों के लिए लड़ रहा है जबकि छात्र राष्ट्रीय जनता दल (राजद की छात्र शाखा) अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के पद के लिए चुनाव लड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि छात्र राजद बापसा के साथ गठबंधन करना चाहता था क्योंकि वैचारिक रूप से दोनों समान हैं। सूत्रों ने बताया कि वे गठबंधन में एनएसयूआई को भी शामिल करना चाहते थे लेकिन बापसा को कांग्रेस समर्थित छात्र इकाई की मौजूदगी से आपत्ति थी।
गठबंधन न पाने के लिए संवेदनहीनता को ठहराया जिम्मेदारः सूत्रों ने यह भी कहा कि एनएसयूआई और सीआरजेडी ने इस पर बात की, बापसा और सीआरजेडी के बीच कुछ चरणों की बातचीत भी हुई और यहां तक कि एनएसयूआई और बापसा में भी चर्चा हुई लेकिन तीनों पार्टियां कभी साथ नहीं बैठीं और गठबंधन के बारे में बात नहीं की। सूत्रों ने गठबंधन नहीं बन पाने के लिए संवादहीनता को जिम्मेदार ठहराया है। सीआरजेडी के जयंत जिज्ञासु ने कहा, ‘‘हम गठबंधन के पक्ष में थे। हम अध्यक्ष का पद छोड़ने के लिए और महासचिव के पद पर लड़ने के लिए तैयार थे। बापसा अध्यक्ष पद के लिए लड़ सकती थी और एनएसयूआई उपाध्यक्ष पद के लिए लेकिन बात बनी नहीं।’’
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जेएनयू शाखा प्रभारी ने लगाया आरोपः उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन हुआ होता तो मत बंटते नहीं और वामपंथी तथा दक्षिणपंथी संगठनों का एक विकल्प सामने आता। एनएसयूआई की जेएनयू शाखा के प्रभारी सनी मेहता ने कहा कि वे गठबंधन से खुश होते लेकिन गठबंधन नहीं होने के लिए राजद और बापसा पर आरोप लगाया। बापसा के संयुक्त सचिव नरेश सुना ने कहा कि गठबंधन के लिए हर साल उनका रुख किया जाता है लेकिन हमें कोई फायदा नहीं दिखा और इसलिए हम अकेले लड़ रहे हैं।