करीब दो साल पहले यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने को मजबूर हुए अकबर चौधरी को विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन आरोपों से मुक्त कर दिया है। जेएनयू की ओर से जारी एक आधिकारिक आदेश में कहा गया कि कार्यकारी परिषद ने अपील समिति की यह रिपोर्ट स्वीकार करने का इरादा जाहिर किया कि यह यौन उत्पीड़न की बजाय आपसी विश्वास तोड़ने का मामला है। लिहाजा, सजा अमान्य मानी जाएगी। एक छात्रा ने चौधरी और जेएनयू छात्र संघ के तत्कालीन संयुक्त सचिव सरफराज हामिद पर 2014 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। छात्रा ने विश्वविद्यालय की जेंडर सेंसिटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट (जीएसकैश) में शिकायत दर्ज कराई थी। जीएसकैश जेएनयू में यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों की जांच करने वाली संस्था है।
हामिद और चौधरी दोनों ने उस वक्त अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि उन्होंने निष्पक्ष जांच की खातिर यह फैसला किया। जीएसकैश ने चौधरी और हामिद को ‘छात्रा को बदनाम करने और उसके चरित्र हनन’ का दोषी पाया था और विश्वविद्यालय ने उस वक्त एक सेमेस्टर के लिए उनकी छात्रावास सुविधा को निलंबित भी कर दिया था।
अकबर ने फैसले को चुनौती देने के लिए अपील दायर करने का फैसला किया जबकि हामिद ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की। विश्वविद्यालय ने तब मामले पर विचार के लिए तीन सदस्यों वाली एक अपील समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यौन उत्पीड़न के आरोप इस मामले में नहीं टिकते और चौधरी को आरोपों से मुक्त किया जाता है। जेएनयू में फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कार्यकारी परिषद (ईसी) ने इस साल जनवरी में रिपोर्ट स्वीकार कर ली और बाद में इस बाबत एक आधिकारिक आदेश जारी किया गया। संपर्क किए जाने पर चौधरी ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।