जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में इस बार रेकार्ड 59 फीसद मतदान हुए। यह पिछले बार से छह फीसद कम। नौ फरवरी के कथित राष्ट्रविरोधी नारे संबंधी विवाद के साए में हुआ चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होने से पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली। मतदान दो चरणों में हुए। देर रात मतों की गिनती शुरू हो गई। नतीजे रविवार तक आने की संभावना है। वाम के गढ़ में प्रमुख चार पदों के लिए कुल 18 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। इस बार मुख्य मुकाबला वाम गठबंधन आइसा-एसएफआइ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में है। कुछ सीटों पर बापसा व डीएसएफ अपनी मौजूदगी दर्ज करा सकती है।

छात्र संघ के लिए 8802 मतदाताओं में से 5161 ने मतदान किया। केंद्रीय पैनल में अध्यक्ष पद के लिए आइसा से मोहित कुमार पांडे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जाह्नवी, आंबेडकरवादी छात्र संगठन (बापसा) से राहुल पुनरम, एनएसयूआइ से सन्नी धीमान और स्टूडेंट्स फेडरेशन फॉर स्वराज से दिलीप कुमार मैदान में हैं। इसके अलावा जेएनयू पार्षद पदों के लिए काउंसर की 31 सीटों पर चुनाव लड़ रहे 79 उम्मीदवारों के लिए भी मतदान किया गया।

मतदान सुबह साढेÞ नौ बजे शुरू हुआ। कुछ देर बाद मालूम चला कि स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज के पार्षद पद के एक उम्मीदवार का नाम बैलट पेपर में है ही नहीं। मालूम चला कि जो नाम गायब है वह विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार अंकुर आर्यन का था। विद्यार्थी परिषद ने इस बात को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। लेकिन तब तक कुछ वोट डाले जा चुके थे। हंगामे के बाद मतदान थोड़ी देर के लिए रोक दिया गया। परिषद ने इसकी शिकायत चुनाव समिति से की। समिति में भूल सुधार करते हुए आनन-फानन में फिर से उस स्कूल का बैलट पेपर छापा गया। दूसरी पाली के मतदान में इस स्कूल में साढेÞ पांच बजे के बजाए सात बजे तक वोट डालने की छूट दी गई।

इस बार वे 16 छात्र वोट नहीं डाल पाए जो नौ फरवरी विवाद में आरोपी थे। सामाजिक अध्ययन केंद्र में 2675 मतदाताओं में से 1521 ने वोट डाले। भाषा अध्ययन केंद्र में 2888 में से 1576 और अंतरराष्ट्रीयअध्ययन केंद्र में 1719 में से 930 छात्रों के वोट पड़े। साइंस अध्ययन केंद्र के 555 मे से 456 ने वोट डाले। तमाम छोटे स्कूलों के मिलाकर 1520 में से 1134 छात्रों के वोट डाले गए।