भेदभाव का आरोप लगाते हुए अपने कुलपति को पत्र भेजने और खुदकुशी की धमकी देने वाले जेएनयू के एक दलित छात्र के बाद विश्वविद्यालय के नौ और छात्रों ने बुधवार को कहा कि उन्हें ‘‘जातिगत आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है।’’ एक दलित छात्र ने कुलपति को दो पत्र लिखकर धमकी दी है कि अगर अगले साल के लिये उसकी शोध राशि नहीं बढ़ायी गयी तो वह खुदकुशी कर लेगा।

इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन(ओआरजी) डिवीजन सीआईपीओडी के शोधार्थी ने आरोप लगाया है कि उनका विभाग उनकी पीएचडी रोकने का प्रयास कर रहा है और उसे प्रताड़ित कर रहा है। विभाग के नौ और छात्रों ने बुधवार को कहा कि जातिगत आधार पर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।

सीआईपीओडी की एक बैठक में कई अनुशंसा की गयी और छात्रों के सभी मुद्दे सुलझाने का फैसला किया गया। इस बैठक में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की डीन अनुराधा चिनॉय मौजूद थीं। उन्होंने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि कुछ लंबित मुद्दे हैं लेकिन हम उन्हें सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चूंकि गैर नेट और नेट फेलोशिप की पूरी संयुक्त अवधि यूजीसी दिशानिर्देश के मुताबिक पांच साल से अधिक नहीं हो सकती और छात्र ने तीन साल और पांच महीने के लिए एक फैलोशिप और बाकी अवधि के लिए नेट फैलोशिप ली है इसलिए यह एक तकनीकी मुद्दा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जेएनयू प्रशासन सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने और छात्रों की मदद करने की कोशिश कर रहा है।’’ नवनियुक्त वीसी जगदीश कुमार ने कहा, ‘‘मुद्दे पर गौर किया जा रहा है और छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए हम पूरी मदद करेंगे जिससे कि वे सामाजिक बदलाव कर सकें।’’