बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन उससे पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। 2015 के चुनाव में जिस महागठबंधन को भारी जीत हासिल हुई थी अब वह टूटता और बिखरता नजर आ रहा है। वजह है हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) का अकेले चुनाव लड़ने का एलान। हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने घोषणा की है कि वह अकेले चुनावी मैदान में उतरेंगे। वहीं राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि हम एनडीए में शामिल हो सकती है।

महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने पर मांझी ने कहा कि यह फैसला पार्टी हित में लिया गया है। मांझी के मुताबिक पार्टी को बचाने के लिए यह फैसला लेना जरूरी था। एनडीए और महागठबंधन ने चुनावों में हमारे साछ छल किया। पार्टी ने तय किया कि अगले विधानसभा चुनाव में हम अकेले ही लड़ेंगे। हमें जितनी भी सीटों पर जीत हासिल होगी वह खुद के बलबूते पर मिलेंगी।’

वहीं दूसरी तरफ हम के एनडीए में शामिल होने की भी चर्चा है। इसकी चर्चा जोरों पर है कि मांझी एनडीए के साथ मिलकर अपनी पार्टी को चुनावी मैदान में उतार सकते हैं। इसपर जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह ने कहा कि हमारे दरवाजे न तो बंद हैं और न ही खुले हैं। उन्होंने कहा ‘हमें इस बात से कोई मतलब नहीं कि कौन कहां है और क्या कर रहा है। हमारे दरवाजे न तो बंद हैं और न ही खुले हैं। हमारा अपना एजेंडा है।’ वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि इसका फैसला जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार करेंगे। चुनाव में उनकी क्या उपयोगिता है और उनके साथ कैसे अनुभव हैं। इन सब पर विचार करने के बाद पार्टी अध्यक्ष किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचेंगे।’

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मालूम हो कि 2015 में महागठबंधन ने बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को करारी शिकस्त दी थी। 2015 में जेडीयू ने बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ा था। इसका फायदा महागठबंधन को मिला। राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों में आरजेडी ने 80 तो जेडीयू ने 71 और कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत हासिल की। जबकि बीजेपी ने 53 सीटों पर तो वहीं उनके सहयोगी दल आरएलएसपी 2, एलजीपी 2 और हम एक सीट जीतने में कामयाब रही। हालांकि इसके बाद महागठबंधन की सरकार तो बनी लेकिन बाद में जेडीयू ने महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ सरकार बनाने में कामयाब हुए।