UP News: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के गभाना इलाके में एक महिला अपने घर पर मृत पाई गई थी। उसके भाई को शक था कि उसकी हत्या की गई है। पुलिस ने महिला का शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की बात सामने आई। इतना ही नहीं शरीर पर कई चोट के निशान पाए गए। इस मामले में पुलिस ने उसके पति को गिरफ्तार कर लिया। अपने पांच साल के बेटे की गवाही की वजह से वह दोषी ठहराया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पांच साल के बेटे ने कोर्ट को बताया, ‘मुझे पता है कि सच बोलना चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ बोलने से भगवान नाराज हो जाते हैं।’ उसने इस बात की पुष्टि की कि जिस दिन उसकी मां मृत पाई गई थी, उस दिन उसके पिता घर पर ही मौजूद थे।

क्या था पूरा मामला?

अब पूरे मामले की बात करें तो यह 10 फरवरी 2022 का है। सावित्री उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के गभाना इलाके में अपने घर पर मृत पाई गई थी। उसके भाई राम अवतार को उसके ससुराल वालों ने उसकी मौत की खबर दी। उसे बताया गया कि उसकी बहन ने फांसी लगा ली है। पुलिस के पहुंचने तक शव जमीन पर पड़ा मिला। अवतार ने आरोप लगाया कि उसकी बहन को उसके पति और ससुराल वाले दहेज के लिए परेशान कर रहे थे। उसे शक था कि उसकी हत्या की गई है। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या की बात कही गई और शरीर पर कई चोटों के निशान पाए गए। अखिलेश को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।

बचाव पक्ष ने क्या तर्क दिया

मामले के दौरान बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि जिस दिन अखिलेश की पत्नी मृत पाई गई थी, वह घर पर मौजूद नहीं था और वह मध्य प्रदेश में था। उसकी मौत की खबर सुनने के बाद ही वह घर पर लौटा। बचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट को बताया कि सावित्री एक जिद्दी महिला थी और इस बात से बहुत ज्यादा नाराज थी कि वह उसे अपने साथ में मध्य प्रदेश लेकर नहीं गया था।

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जब यह केस आगे बढ़ता गया तो प्रोसिक्यूशन के 13 गवाहों में से पांच अपने बयानों से पलट गए। सावित्री के भाई तक भी अपने बयान से मुकर गए। हालांकि, दंपत्ति का बेटा अपनी बात पर पूरी तरह से डटा रहा। उसने कोर्ट को बताया, ‘मेरे पिता रोज़ाना गभाना में पेंट बेचने जाते हैं। वह सुबह लगभग 5 बजे घर से निकलते हैं और 10 बजे तक लौट आते हैं। जिस दिन मेरी मां की मृत्यु हुई, वह गभाना में पेंट बेचने गए थे। उस सुबह खाना खाने के बाद, मैं खेलने चला गया। जब दोपहर में पुलिस आई, तब मुझे पता चला कि मेरी मां की मृत्यु हो गई है। जिस रात मेरी मां की मृत्यु हुई, उसने भिंडी की सब्जी बनाई थी। मैंने, मेरे भाइयों, पिता और मां, सभी ने भिंडी की सब्जी खाई। खाना खाने के बाद, मैं सो गया। सुबह मैंने, मेरे पिता और भाइयों ने वही सब्जी खाई। मेरी मां ने कुछ नहीं खाया।’

कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?

बच्चे के बयान पर कोर्ट ने गौर किया और अपने आदेश में कहा, ‘मृतक का बेटा गवाह के तौर पर पेश हुए और गवाही दी। उन्हें साफ तौर पर कहा कि जिस रात उसकी मां की मृत्यु हुई, उसने भिंडी की सब्जी बनाई थी, जिसे उसने, उसके पिता और उसके भाई ने खाया था। बची हुई करी भी बाद में उसने, उसके भाई और उसके पिता ने खाई थी। गवाह ने आगे कहा कि उसकी मां की मृत्यु वाले दिन, उसके पिता गभाना में पेंट बेचने गए थे, जैसा कि वह हमेशा करते थे। बचाव पक्ष गवाह की समझ को चुनौती देने के लिए कोई भी सबूत पेश करने में विफल रहा।’ एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज संजय कुमार यावद ने अखिलेश को हत्या के जुर्म में उम्र कैद और 20000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।