चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस भेजा है। आयोग ने उनसे यह बताने के लिए कहा कि उनके पक्ष में खनन पट्टा जारी करने के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया आरपी अधिनियम की धारा 9 ए का उल्लंघन है, जो सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है।

इससे पहले जब ये मामला निर्वाचन आयोग पहुंचा था, तब आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को तलब कर उनसे पूछताछ की थी। आयोग ने उनसे लीज आवंटन से संबंधित दस्तावेजों का प्रमाणीकरण करने को कहा था कि ये दस्तावेज सही हैं या नहीं।

सोरेन खनन विभाग के मंत्री भी हैं, वे अपने ही नाम पर खनन पट्टा जारी करने को लेकर घेरे में हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि सोरेन ने खनन विभाग का नेतृत्व करते हुए, 2021 में लाभ के पद के मानदंडों का उल्लंघन करते हुए खुद को एक खनन पट्टा आवंटित किया। भाजपा ने राज्यपाल को रिप्रेजेंटेशन दिया है, जिसे उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग को भेज दिया।

अनुच्छेद 192 राज्यपाल को मतदान पैनल की राय पर राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य को अयोग्य घोषित करने का निर्णय लेने का अधिकार देता है। चुनाव आयोग ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री को दिए गए खनन पट्टे से संबंधित दस्तावेज मांगे थे। वहीं, एक जनहित याचिका दायर किए जाने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने भी मुख्यमंत्री को नोटिस जारी किया था।

क्या है पूरा मामला
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सोरेन द्वारा खुद के नाम पर खनन पट्टा लेने का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि सीएम ने पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भूखंडों को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करवाया और फिर अपनी पत्नी की कंपनी के नाम पर इन्हें आवंटित कर दिया। सीएम सोरेन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद और अपने विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्र की कंपनियों को भी लाभ पहुंचाया है।