Jharkhand Politcs: झारखंड में सरकार को लेकर इस वक्त सियासी सस्पेंस बरकरार है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के भाग्य को लेकर राज्य में सियासी संकट खड़ा हो गया। इन सबके बीच यूपीए के विधायकों को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर शिफ्ट कर दिया गया है। झारखंड के विधायकों के टूटने के खतरे को देखते हुए सत्तारूढ़ झामुमो कांग्रेस और आरजेडी विधायकों के साथ मंगलवार (30 अगस्त) को रायपुर पहुंच गया। विधायकों ने रायपुर के एक होटल में चेक इन किया। यहां बाहरी इलाके में स्थित मेफेयर गोल्ड रिज़ॉर्ट को के आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा की भारी तैनाती की गई है।
झारखंड कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अविनाश पांडे भी यूपीए विधायकों के साथ रायपुर पहुंते हैं, क्योंकि कांग्रेस के 18 विधायक यूपीए सरकार का हिस्सा है। द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में अविनाश पांडे ने चुनाव आयोग की तरफ से राज्यपाल को लिखे गए पत्र के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “गठबंधन सहयोगी अलग-अलग गतिविधियों पर काम कर रहे हैं।” कांग्रेस के राज्य प्रभारी अविनाश पांडे ने आगे बताया कि यूपीए तथ्यों को सामने लाने के लिए मिलकर काम कर रही है। हमने राज्यपाल को एक आवेदन देने की भी योजना बनाई थी, लेकिन इसे किसी कारण से स्थगित कर दिया गया है। हम सीएम से अलग-अलग गतिविधियों के बारे में बात कर रहे हैं और संकट की स्थिति में क्या करना है।”
EC की चिट्ठी कांग्रेस और सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर चिंता बढ़ रही है?
कांग्रेस नेता ने कहा, “ये एक ऐसी स्थिति है जो एक पत्र के आधार पर बनाई गई है। (चुनाव आयोग ने राज्यपाल को खनन मामले में मुख्यमंत्री को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की), लेकिन तथ्य यह है कि शिकायत की गई है और कार्रवाई कानून के अनुसार लिया जाए। चुनाव आयोग ने राज्यपाल को एक बंद लिफाफे में पत्र भेजा है, लेकिन उन्होंने 5 दिन से कुछ नहीं कहा है। केवल दहशत पैदा की जा रही है, लेकिन राजनीतिक दलों के रूप में हमें तैयार रहना होगा।” उन्होंने आगे कहा, “अब यह साफ है कि राज्यपाल की तरफ से मामला स्पष्ट नहीं किया जा रहा है ताकि खरीद-फरोख्त हो, जिससे सरकार में भ्रम हो और प्रशासन का मनोबल गिर जाए।”
इस वजह से झारखंड में आया सियासी संकट
दरअसल, चुनाव आयोग की तरफ से झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को सीएम हेमंत सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने के लिए अपनी राय भेजने के बाद आया है। बता दें कि सीएम सोरेन के खिलाफ चुनाव आयोग की राय चुनावी मानदंडों के उल्लंघन के रुप पेश की गई थी, जिसमें उन पर खुद को खनन पट्टे देने का आरोप लगाया गया था।
झारखंड विधानसभा का गणित समझिए
झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। सबसे बड़ी पार्टी झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद के 1 विधायक हैं। वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के सदन में 26 विधायक हैं। राज्य के मौजूदा सियासी हालात को देखते हुए माना जा रहा है कि अगर बीजेपी 15 विधायक यूपीए गठबंधन से तोड़ लेती है तो वह सरकार बना सकती है। इसी टूट की वजह से यूपीए गठबधंन के सारे विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शिफ्ट किया गया है।