झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार यहां कहा कि उनकी सरकार ने चौदह वर्षों से भ्रष्टाचार और राजनीतिक अस्थिरता का दंश झेल रहे राज्य के आम लोगों में आशा का संचार किया है। उन्होंने दावा किया कि पांच वर्षों के भीतर झारखंड को पूरी तरह विकसित राज्य बनाएंगे। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार अपने आवास पर बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि उनकी सरकार ने एक वर्ष के भीतर ही झारखंड राज्य को भ्रष्ट होने के कलंक से बाहर निकालकर सुशासित राज्यों की श्रेणी में शामिल करा दिया है। स्थिति यह है कि अब लोग इस राज्य के बारे में सकारात्मक सोचने लगे हैं और यहां नए उद्योग लगाने को आतुर हैं।
दास ने कहा कि वह स्वयं मजदूर हैं और गरीबी के दंश को पूरी तरह समझते हैं, अत: उनकी सरकार शासक की तरह नहीं बल्कि सेवक की तरह राज्य में शासन कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के बाद से लगातार झारखंड और उसके नेतृत्व में भ्रष्टाचार और कार्य संस्कृति के अभाव का आरोप लगता रहा है लेकिन उन्होंने इस रुख को पलटने में सफलता प्राप्त की है। इसके चलते आज झारखंड की गणना सुशासन के विभिन्न पैमानों पर देश के चुनिंदा राज्यों में की जाने लगी है। उन्होंने कहा कि जहां विश्व बैंक ने ‘ईज आफ डूइंग बिजनेस’ के मामले में राज्य को देश के राज्यों में शीर्ष से तीसरे स्थान पर रखा है, वहीं श्रम कानूनों में सुधार और कई अन्य मामलों में भी झारखंड को देश के अन्य राज्यों से बहुत बेहतर बताया गया है।
उन्होंने कहा कि जनता के प्रति शासन की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सेवा के अधिकार कानून में संशोधन कर सरकार ने अब 54 के स्थान पर 151 सेवाओं को इसकी परिधि में लाने का निश्चय किया है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था कि सत्ता साध्य नहीं है बल्कि वह तो जनसेवा का साधन मात्र है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने पिछले बारह माह में सुशासन और सेवा की ऐसी रेखा काल के कपाल पर खींची है जिसे मिटाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारमुक्त, जवाबदेह और पारदर्शी शासन की दिशा में उनकी सरकार और तेजी से काम करेगी जिससे आम लोगों की तकलीफें दूर की जा सकें। दास ने कहा कि चौदह वर्षों तक झारखंड बहुत बदनाम रहा है लेकिन अब इसका नाम देश और दुनिया में सम्मान के साथ लिया जा रहा है जिसके लिए उनकी सरकार ने एकजुट होकर तेजी से काम किए हैं।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों से बहुत बेहतर काम करते हुए उनकी सरकार ने वर्तमान वित्त वर्ष की बजटीय राशि 31690 करोड़ रुपए में से नवंबर के अंत तक ही लगभग पचास फीसद राशि व्यय कर ली थी जबकि पिछले वर्ष यह महज तीस फीसद थी। उन्होंने राज्य सरकार के कर्मचारियों को कर्मयोगी बन कर लोगों की सेवा करने को कहा और दावा किया कि जो लोग उग्रवाद के नाम पर मुखौटा बनकर राज्य के लोगों को लूटते थे उनके मुखौटे भी सरकार ने सबके सामने उतार दिए हैं।