झारखंड विधानसभा में सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में लगभग समूचे विपक्ष ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार द्वारा सदन में पारित किए गए श्रम कानूनों के खिलाफ जमकर हंंगामा किया और सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। झारखंड विधानसभा में दिन की कार्यवाही जैसे ही प्रारंभ हुई मुख्य विपक्षी झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को विधानसभा में ठेका मजदूर (विनियमन व उन्मूलन) (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2015 को पारित किए जाने का विरोध किया और कहा कि यह कानून पूरी तरह मजदूर विरोधी है। यह कहकर उन्होंने इस कानून को वापस लिए जाने की मांग की।

जब संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने विधाई प्रक्रिया का हवाला देकर विपक्ष की इस मांग को गलत बताया और कहा कि पारित कानून में संशोधन के लिए निजी सदस्य विधेयक विपक्ष ला सकता है तो समूचा विपक्ष विरोध में खड़ा हो गया। बाद में जब विधानसभाध्यक्ष ने नियमों का हवाला देकर प्रश्नकाल चलने देने की बात कही तो झामुमो के विधायक अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए और नारेबाजी करने लगे।

झामुमो विधायक नारे लगा रहे थे, ‘मजदूर विरोधी कानून वापस लो, वापस लो-वापस लो।’ विधानसभाध्यक्ष के बार बार अनुरोध के बावजूद जब विपक्षी विधायक हंगामे से बाज नहीं आए तो उन्होंने साढ़े ग्यारह बजे सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी। दस मिनट के स्थगन के बाद जब विधानसभा की कार्यवाही पुन: प्रारंभ हुई तो एक बार फिर झामुमो के नेतृत्व में कांग्रेस और झाविमो के भी विधायक अध्यक्ष के आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे।

विधानसभाध्यक्ष दिनेश उरांव ने विपक्ष के नेता और विधायकों से सदन चलाने में सहयोग की अपील की और कहा कि आज बहुत महत्वपूर्ण मुख्यमंत्री प्रश्नकाल है, कम से कम उसे चलने दिया जाए लेकिन विपक्ष ने उनकी एक न सुनी और हंगामा जारी रहा। हंगामे के बीच सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने आरोप लगाया, ‘विपक्ष सदन को हांकने की कोशिश कर रहा है जो निंदा के योग्य है।’ उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष के जो भी सवाल हों, वह पूछें तो उसका जवाब देने को सरकार तैयार है। इतना ही नहीं कोई विशेष चर्चा यदि विपक्ष चाहता है तो वह भी की जा सकती है लेकिन बिना किसी नोटिस के बिना किसी नियम कानून के सदन की कार्यवाही को बाधित करना पूरी तरह अनुचित है।

राय ने यहां तक कहा, ‘विपक्ष यदि संविधान और कानून का पालन नहीं करना चाहता है तो विपक्ष के नेता इस बारे में सदन में बयान दें जिससे स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।’ विधानसभाध्यक्ष और सरकार की सारी कवायद के बावजूद जब विपक्ष ने हंगामा नहीं बंद किया तो विधानसभाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर के भोजन तक स्थगित कर दी। संबंधित कानून सरकार ने ध्वनिमत से शुक्रवार को पारित किया था और तब विपक्ष ने सदन का बहिष्कार कर दिया था।