देश के सबसे बड़े ‘ग्रीन फील्ड’ हवाई अड्डे के रूप में विकसित हो रहे नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (जेवर) के निर्माण के दौरान काटे गए पेड़ों की भरपाई के लिए अब तक सवा लाख से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं। जिनकी निगरानी के लिए जियो टैगिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, ताकि हर पौधे की स्थिति पर वन विभाग की सीधी नजर बनी रहे।

निर्माण से पहले कराए गए सर्वे में सामने आया था कि लगभग 10,000 पेड़ निर्माण क्षेत्र में आते हैं, जिन्हें हटाने की आवश्यकता होगी। हालांकि अब तक करीब 2,500 पेड़ ही काटे गए हैं। शेष पेड़ संरक्षित या स्थानांतरित किए गए हैं। प्रभागीय वन अधिकारी पीके श्रीवास्तव के अनुसार, कटने वाले पेड़ों में से अधिकांश सफेदा प्रजाति के थे, जो पर्यावरणीय दृष्टि से अधिक संवेदनशील नहीं माने जाते। इसके बावजूद हर एक कटे पेड़ की एवज में 10 नए पेड़ लगाने की सख्त शर्त रखी गई थी।

तीन साल तक निगरानी में रहेंगे पेड़

वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि लगाए गए सभी पेड़ तीन वर्षों तक निगरानी में रहेंगे। जियो टैगिंग के जरिए इनकी स्थिति, वृद्धि और संरक्षण पर नियमित नजर रखी जाएगी। नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा न केवल देश की अवसंरचना में बड़ा योगदान देने वाला प्रोजेक्ट है, बल्कि विकास और पर्यावरण संतुलन का उदाहरण भी बनता जा रहा है।

इसे भी पढ़ें- नोएडा में 67 लाख चालान लंबित, माफी की उम्मीद में लोग नहीं कर रहे भुगतान, आरसी और लाइसेंस होंगे सस्पेंड

नोएडा एअरपोर्ट परियोजना के तहत पेड़ों की कटाई के एवज में 2.62 करोड़ रुपए वन विभाग को दिए गए, जिसकी मदद से जिले के सेक्टर-29/30, सेक्टर-20 की हरित पट्टी, मुरशदपुर, सूरजपुर आर्द्रभूमि सहित अन्य क्षेत्रों में पौधरोपण कराया गया है। कुल मिलाकर करीब ढाई लाख बड़े वृक्ष लगाए गए, जिनमें से सवा लाख पेड़ एअरपोर्ट परियोजना की भरपाई के अंतर्गत आते हैं।

वन्य जीवों के लिए बनेगा आश्रय केंद्र

हवाई अड्डे के निर्माण से प्रभावित वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्रस्तावित आश्रय केंद्र की जिम्मेदारी अब यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण को दी गई है। पहले यह कार्य प्रभागीय वन विभाग के अंतर्गत आना था। सरकार ने इसके लिए 4.5 करोड़ रुपए की राशि यीडा को हस्तांतरित कर दी है।