दिल्ली पुलिस गुरुवार को एक ऐसे मामले का खुलासा किया, जिसमें एक व्यक्ति ने करीब 3 साल पहले अपने भतीजे की हत्या कर दी। इसके बाद उसने शव को द्वारका स्थित एक बिल्डिंग की बालकनी में दफना दिया और सबूत मिटाने के लिए पौधे लगा दिए। पुलिस का मानना है कि आरोपी ने इस वारदात को लड़की के चक्कर में अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि हत्या करने के बाद आरोपी हैदराबाद भाग गया था। अब बिल्डिंग का रेनोवेशन हुआ तो हत्या का राज खुल गया।

2012 में दिल्ली शिफ्ट हो गया था आरोपी : पुलिस के मुताबिक, मूलरूप से गंजम (ओडिशा) निवासी आरोपी बिजय कुमार महाराणा अपनी गर्लफ्रेंड के दिल्ली शिफ्ट होने के बाद 2012 में राष्ट्रीय राजधानी आ गया था। वहीं, 2015 में बिजय का भतीजा जय प्रकाश भी हैदराबाद से दिल्ली आ गया। इसके बाद दोनों द्वारका स्थित एक फ्लैट में साथ रहने लगे। बिजय नोएडा सेक्टर-144 स्थित एक आईटी फर्म में जॉब करता था, जबकि जय प्रकाश गुड़गांव बेस्ड कंपनी में काम करने लगा।

गर्लफ्रेंड के करीब आया जय प्रकाश तो नाराज हो गया बिजय : पुलिस की जांच में सामने आया कि कुछ वक्त बाद जय प्रकाश और बिजय की गर्लफ्रेंड के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं। इससे बिजय नाराज हो गया और उसने जय प्रकाश की हत्या की प्लानिंग कर ली।

फरवरी 2016 में हुई थी हत्या : पुलिस के मुताबिक, 6 फरवरी 2016 को जय प्रकाश सो रहा था। उस दौरान कमरे में मरम्मत के लिए रखे सीलिंग फैन की मोटर से बिजय ने जय प्रकाश का सिर कुचल दिया। भतीजे की मौत के बाद चाचा ने उसके शव को बालकनी में दफना दिया और सबूत छिपाने के लिए ऊपर से पौधे लगा दिए। बताया जा रहा है कि पौधों का इंतजाम बिजय ने पहले से कर रखा था।

7 दिन बाद शिकायत लिखवाई और 2 महीने बाद छोड़ दिया फ्लैट : पुलिस के मुताबिक, बिजय ने करीब एक सप्ताह बाद अपने भतीजे के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई। उसने पुलिस को बताया कि जय प्रकाश अपने दोस्तों के साथ गया था, लेकिन नहीं लौटा। बिजय करीब दो महीने तक उसी फ्लैट में रहा और बाद में नांगलोई शिफ्ट हो गया। वहीं, 2017 में वह हैदराबाद चला गया।

ऐसे खुला हत्या का राज : अक्टूबर 2018 के दौरान बिल्डिंग का रेनोवेशन कराया जा रहा था। उस वक्त बालकनी से एक कंकाल बरामद हुआ, जो नीले रंग की जैकेट, शर्ट, बेडशीट, कंबल और मैट्रेस में लिपटा हुआ था। पुलिस ने फ्लैट ओनर विक्रम सिंह और उस वक्त वहां रह रहे 2 युवकों से पूछताछ की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद बिजय का नाम सामने आया।

आरोपी ने बदल लिया था फोन नंबर और बैंक खाता : जांच के दौरान बिजय लापता मिला। वहीं, उसके परिवार और दोस्तों को उसके ठिकाने के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसका पुराना मोबाइल नंबर बंद मिला। वहीं, पूरी रकम निकालने के बाद बैंक खाता भी इस्तेमाल नहीं किया गया था।

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सर्विलांस से हत्थे चढ़ा आरोपी : कई हफ्तों की जांच के बाद सर्विलांस की मदद से बिजय पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसकी तलाश में दिल्ली पुलिस की एक टीम 26 दिसंबर को विशाखापटनम पहुंची और एक जनवरी को हैदराबाद गई। इसके बाद आरोपी 6 जनवरी को पुलिस के हत्थे चढ़ गया। वह हैदराबाद स्थित एक आईटी कंपनी में बतौर एचआर मैनेजर काम कर रहा था। 10 जनवरी को उसे दिल्ली लाया गया।