जदयू नेता और पूर्व केंद्रीय इस्पात मंत्री आर.सी.पी. सिंह ने गुरुवार को कहा था कि उन्होंने अपनी राजनीतिक स्थिति अपने दम पर बनाई है और उन्हें कोई धोखा नहीं दे सकता। उन्होंने केंद्र में मंत्री बनने पर पीएम मोदी की कृपा बताई। जिसके बाद उनकी पार्टी बिफर गई।

जेडीयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि आरसीपी सिंह की वजह से जदयू 71 से 43 सीटों पर आ गई। उन्होंने कहा कि जब 2015 में जनता दल यूनाइटेड के 71 विधायक थे, मगर 2020 में जब आरसीपी सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे तो पार्टी को केवल 43 सीट मिलीं। आरसीपी सिंह अपने काम के चलते नहीं बल्कि, सीएम नीतीश की कृपा से दो बार राज्यसभा सांसद बने, जनता दल यूनाइटेड में संगठन मंत्री बने और फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने।

बता दें,केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 7 जुलाई को आरसीपी सिंह (RCP Singh )का राज्यसभा में कार्यकाल पूरा हो गया। वहीं आरसीपी सिंह के इस्तीफे के बाद अब ये सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर आरसीपी सिंह अब क्या करेंगे।

बता दें, 2021 में मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। तब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना ​​था कि उन्होंने पार्टी प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इच्छा के खिलाफ इस पद को चुना था। इसके बाद से ही उनके और जदयू के बीच रिश्तों में खटास आनी शुरू हो गयी। इसलिए जब राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त हो रहा था, तो पार्टी ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया और इसके बजाय झारखंड के राज्य अध्यक्ष खिरू महतो को राज्यसभा भेज दिया।

कौन हैं आरसीपी सिंह-
आरसीपी सिंह यूपी कैडर के आईएएस रहे हैं। उनका मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने तक का सफर आसान नहीं रहा। 11 साल पहले प्रशासनिक सेवा से स्‍वैच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद उन्‍होंने राजनीति में अपनी जगह सुरक्षित की है। वो केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव भी रहे चुके हैं। आरसीपी सिंह का पूरा नाम है रामचंद्र प्रसाद सिंह।