Bihar News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को बिहार के दौरे पर पहुंच रहे हैं। वहीं सहयोगी दल जेडीयू जमीनी स्तर पर कड़ी मेहनत कर रही है। पार्टी वक्फ कानून के मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय से संपर्क साध रही है। नीतीश कुमार की पार्टी इस मुद्दे पर कुछ सवालों का सामना कर रही है। हालांकि, पार्टी को यह उम्मीद है कि वह मुस्लिम समुदाय की आशंकाओं को दूर करने के लिए कैंपेन चलाएगी। साथ ही वह लगातार बैठक भी कर रही है।

जेडीयू के प्रवक्ता अंजुम आरा ने इस बात को माना कि उन्हें कुछ आक्रामक सवालों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, ‘मैंने उन्हें शांति से सुना। मैंने उन्हें समझाया कि जेडीयू विधेयक का समर्थन करता है क्योंकि इसकी सभी पांच सिफारिशें शामिल की गई हैं। मैं उन्हें यह भी बताता हूं कि नीतीश कुमार उनके हितों को ध्यान में रखते हैं।’
अल्पसंख्यकों को नीतीश के नेतृत्व पर पूरा भरोसा होने का दावा करते हुए आरा ने कहा कि उन्होंने पाया है कि जब लोगों को समझाया जाता है कि वक्फ अधिनियम में बदलाव क्यों जरूरी है, तो वे इसे स्वीकार करते हैं। इसका जरूरतमंदों को फायदा नहीं मिल रहा है।

हमारा मुस्लिम समर्थन आधार बरकरार रहेगा – जेडीयू नेता

आरा ने कहा, ‘हमारा मुस्लिम समर्थन आधार बरकरार रहेगा क्योंकि लोग बिहार में विकास देख रहे हैं और उन्हें नीतीश के नेतृत्व पर भरोसा है।’ बुधवार को जेडीयू नेता सबा जफर ने समुदाय के साथ एक बैठक की। यहां पर उन्होंने कहा कि नीतीश कभी भी उनके खिलाफ कुछ नहीं करेंगे और उनके हितों को समझते हैं। उन्होंने कहा, ‘नीतीश ने बिहार में एनआरसी के विचार को खारिज कर दिया और जब वक्फ कानून के बारे में सवाल उठेंगे, तो वह उसी के अनुसार काम करेंगे। मुस्लिम समुदाय की ओर से मुझ पर जेडीयू से इस्तीफा देने का दबाव था, लेकिन मैं पार्टी में बना रहा क्योंकि मुझे पता है कि नीतीश के नेतृत्व में कोई अन्याय नहीं होगा।’

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर ये क्या बोल गए प्रशांत किशोर

मुसलमानों के साथ बातचीत आगे बढ़ने के लिए तैयार

सबा जफर ने कहा कि पार्टी 7 जून को ईद के बाद वक्फ कानून पर मुसलमानों के साथ अपनी बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। अपनी बात को मजबूती के साथ में रखते हुए जेडीयू के नेता बिहार में कांग्रेस सरकार के दौरान 1989 में हुए भागलपुर दंगों का हवाला दे रहे हैं और लोगों को बता रहे हैं कि नीतीश कुमार ही सीएम थे, जिन्होंने दोषियों को सजा दिलाई, पीड़ितों को न्याय दिलाया। अब भागलपुर हिंसा की बात करें तो यह भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सबसे भीषण झड़पों में से एक थी और इसमें करीब 1000 लोगों की जान चली गई थी। इनमें से 900 से ज्यादा मुसलमान थे और 50,000 से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़कर दूसरी जगह पर जाना पड़ा।

उन्होंने कहा, ‘जब लोग मुझसे सवाल करते हैं, तो मैं उनसे पूछता हूं कि अपने गांव के एक गरीब मुसलमान का नाम बताइए, जिसकी जिंदगी पिछले वक्फ कानून की वजह से सुधरी हो। वे अवाक रह जाते हैं। मैं उन्हें यह भी बताता हूं कि सच्चर समिति की रिपोर्ट में पाया गया है कि वक्फ संपत्तियों की इनकम अनुमान से बहुत कम है। ऐसे में यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वक्फ संपत्तियों का फायदा लाभार्थियों तक पहुंचे।’

जेडीयू को पहले भी उठाना पड़ा नुकसान

जेडीयू पहले भी केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उठाए गए कदमों जैसे कि तत्काल ट्रिपल तलाक पर बैन, नागरिकता संशोधन अधिनियम की शुरूआत और एनआरसी प्रस्ताव को लेकर खुद को मुश्किल हालात में पा चुकी है। 2020 के विधानसभा चुनावों में इसकी संख्या 2015 में 71 से घटकर 43 हो गई थी। जेडीयू के एक मुस्लिम नेता ने माना कि इन मुद्दों ने पार्टी की सीटों की संख्या पर असर डालने में अहम भूमिका निभाई।

मुसलमान फिर से जेडीयू का समर्थन कर रहे हैं – जेडीयू नेता

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि 2020 के बाद हालात सामान्य हो गए हैं। मुसलमानों को एहसास हो गया है कि उन्होंने नीतीश को कमजोर करके गलती की है, लेकिन अब वक्फ कानून एक नया झटका हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘मुसलमान फिर से जेडीयू का समर्थन कर रहे हैं, जैसा कि पिछले साल बेलागंज विधानसभा उपचुनाव में साफ था। हालांकि, हमें फिर से डैमेज कंट्रोल करना होगा।’ बीजेपी की मजबूरी और CM दोनों रहेंगे नीतीश कुमार!