बिहार के कुख्‍यात बाहुबली माेहम्‍मद शहाबुद्दीन की रिहाई पर उनकी अगवानी करने भागलपुर जेल पहुंचे जनता दल (यूनाइटेड) विधायक गिरिधारी यादव मुश्किल में हैं। पार्टी ने उन्‍हें नोटिस जारी कर इसका कारण स्‍पष्‍ट करने को कहा है। शहाबुद्दीन को शनिवार (10 सितंबर) को भागलपुर जेल से रिहा किया गया था। जेल के बाहर उनका स्‍वागत करने के लिए बड़ी संख्‍या में समर्थक मौजूद थे। इसके बाद करीब 300 गाड़‍ियों का काफिला लेकर शहाबुद्दीन वहां से सीवान के लिए रवाना हुए थे। रास्‍ते में पड़े टोल प्‍लाजा पर बिना टोल चुकाए ही सारी गाड़‍ियां आगे बढ़ जाने पर भी खूब हल्‍ला मचा था।सीवान से चार बाद सांसद रहे शहाबुद्दीन ने जेल से बाहर निकलते वक्‍त कहा था, ‘मेरे लिए लालू प्रसाद नेता हैं और नीतीश कुमार परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं।’ शहाबुद्दीन द्वारा नीतीश कुमार पर किए गए सीधे हमले के बाद नीतीश ने कोई खास प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया था। सूत्रों के मुताबिक, उन्‍होंने रविवार को एडवोकेट जनरल के साथ बैठक कर शहाबुद्दीन केा वापस जेल भेजने के तरीकों पर चर्चा की।

राष्‍ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय समिति के सदस्य शहाबुद्दीन को पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद का करीबी समझा जाता है। 2005 में नीतीश कुमार के मुख्‍यमंत्री बनने के बाद शहाबुद्दीन के खिलाफ कई लंबित मामलों को फिर से खोला गया और उन्‍हें जेल भेज दिया गया। हालांकि इस बारे में शहाबुद्दीन का कहना है कि ‘जेल भेजना और रिहा करना अदालत की प्रक्रिया और उसका काम है। अदालत ने जेल भेजा और उसी ने ही रिहा किया है।’ वर्ष 2014 में सीवान में दो सगे भाइयों पर तेजाब डालकर उनकी जान लेने के मामले में एक गवाह की हत्या में आरोपित शहाबुद्दीन को बुधवार को पटना उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के बाद उनकी रिहाई संभव हो सकी है। उन्हें करीब 12 अन्य मामलों में पहले जमानत मिल चुकी है।

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जब संवाददाताओं ने पूछा कि लंबे समय तक जेल में रहने से क्या उन्हें राजनीतिक तौर पर कोई नुकसान हुआ है तो शहाबुद्दीन ने कहा, ‘थोड़ा नुकसान हुआ है।’ जब शहाबुद्दीन से पूछा गया कि जेल में उन्होंने वक्त कैसे बिताया तो राजद नेता ने कहा कि उन्हें किताब पढ़ने का शौक है।