Japanese and Korean Cities: नोएडा में जापानी और कोरियन सिटी का निर्माण किया जाएगा। जिसको लेकर यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने ‘जापानी’ और ‘कोरियाई’ औद्योगिक शहरों की स्थापना के लिए दो सेक्टर आवंटित करने फैसला किया है। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ये शहर जापान और कोरिया की कंपनियों द्वारा स्थापित इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के केंद्र के रूप में काम करेंगे।

‘जापानी शहर’ नोएडा के सेक्टर 5ए में स्थित होगा, जो 395 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा, जबकि ‘कोरियाई शहर’ सेक्टर 4ए में स्थित होगा, जो 365 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा। जहां से जेवर एयरपोर्ट की दूरी सिर्फ 10 किलोमीटर है। जिससे इन परियोजनाओं के लिए कनेक्टिविटी बढ़ने की उम्मीद है।
प्राधिकरण के सीईओ अरुण वीर सिंह ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक हब में चिप्स, सेमीकंडक्टर, AI उपकरण और कैमरे के उत्पादन में लगी कंपनियां होंगी।

औद्योगिक सुविधाओं के अलावा ये शहर जापानी और कोरियाई कंपनियों के कर्मचारियों के लिए आवासीय यूनिट भी प्रदान करेंगे। अधिकारी उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए डिज़ाइन कर रहे हैं, जिसमें जापान और कोरिया के नागरिकों के लिए आवास, स्कूल, अस्पताल और अन्य आवश्यक सुविधाएं शामिल हैं।

इन शहरों को स्थापित करने का निर्णय पिछले साल यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले जापान और कोरिया के निवेशकों के साथ बैठक के बाद किया गया था। अगले महीनों में परियोजनाओं पर चर्चा करने के लिए कई प्रतिनिधिमंडलों ने इस क्षेत्र का दौरा किया।

पिछले साल कुछ जापानी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक क्षेत्रों का दौरा किया था। स्थान का आकलन करने और मिट्टी परीक्षण करने के बाद इन कंपनियों ने क्षेत्र में निवेश करने में रुचि दिखाई। राज्य सरकार की एफडीआई नीति, जिसमें भूमि की लागत, स्टांप शुल्क और अन्य रियायतें शामिल हैं। जिन्होंने पिछले साल अक्टूबर में इन नई औद्योगिक टाउनशिप की स्थापना को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्राधिकरण के ओएसडी शैलेन्द्र भाटिया ने कहा कि सेक्टरों में मिश्रित भूमि उपयोग होगा, जिसमें 70% मुख्य उद्योगों के लिए और 13% वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए होगा। इसके अतिरिक्त 10% भूमि आवासीय जरूरतों के लिए और 5% अस्पतालों, स्कूलों और कॉलेजों जैसे संस्थागत उद्देश्यों के लिए आवंटित की जाएगी। शेष 2% का उपयोग अन्य सुविधाओं के विकास के लिए किया जाएगा। भाटिया ने आगे कहा कि ये क्षेत्र एक जीवंत अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक आधुनिक सुविधाओं के साथ एक संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेंगे।

इन दोनों शहरों के विकास पर 2,544 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। प्राधिकरण ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर परियोजना लागत का 50% ब्याज मुक्त ऋण देने का अनुरोध किया है। अब तक, राज्य सरकार प्राधिकरण को दो किश्तों में लगभग 3,300 करोड़ रुपये का ऋण प्रदान कर चुकी है। प्राधिकरण भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भविष्य के मुनाफे, प्लॉट योजनाओं से उत्पन्न राजस्व और बैंकों से ऋण से अपना हिस्सा देने की योजना बना रहा है।