मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर उनकी मौजूदगी में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की कथित पिटाई मामले पर दिल्ली के अधिकारियों और आप के नेताओं में बजट के बहाने हुए अघोषित युद्ध विराम ने दोनों पक्षों को अपना बचाव करने का मौका दे दिया। अधिकारी मुख्यमंत्री के माफीनामे तक सरकार से सहयोग करने को तैयार न थे। मुख्यमंत्री और आप के नेताओं को लगता था कि मुख्यमंत्री के माफी मांगने के बाद तो आम जनता में उनकी छवि खराब हो जाएगी। दोनों पक्षों के अड़े रहने से दिल्ली के बजट पर सवाल उठने लगे। अधिकारियों ने अपनी ओर से बजट बनवाने में सहयोग करने को कहा और इनके प्रयास से ही बजट समय पर पेश हो पाया। हालांकि समय बीतने के साथ दोनों पक्षों की कड़वाहट थोड़ी कम हुई है, लेकिन खतरा यही है कि जिस काम को दोनों पक्ष लटकाना चाहते हैं कहीं उसे एक-दूसरे के सिर पर न डाल दें।
अपशकुन की चिंता
सत्ता और विपक्ष के टकराव में संसद की कार्यवाही लगातार बधित हो रही है। ऐसे में जो संवाददाता सम्मेलन शाम को होते थे, वे दोपहर में ही होने लगे। एक दिन इसी तरह के एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए कांग्रेस नेता अहमद पटेल और राज बब्बर संसद परिसर में बने अस्थाई मीडिया सेंटर की ओर जा रहे थे कि एक बिल्ली उनका रास्ता काट गई। दोनों नेता रुकने के लिए एक-दूसरे का हाथ खींचने लगे। तभी अचानक उनकी नजर साथ चल रहे पत्रकारों पर पड़ी, तो दोनों सफाई देने लगे कि वे तो बात करने के लिए रुके थे, लेकिन पत्रकारों की हंसी से दोनों झेंप गए। वैसे भी दोनों संकट में हैं क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष पद से सोनिया गांधी के हटने के बाद पटेल का वजन कम हुआ है तो राज बब्बर को उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा है।
अनशन की उपज
सात साल बाद एक बार फिर रामलीला मैदान पर शुरू हुए अण्णा हजारे के अनशन को लोग ‘कौन बनेगा मुख्यमंत्री’ से जोड़ते नजर आ रहे हैं। इस बार चर्चा आंदोलन के सीक्वल को लेकर हो रही है। आंदोलन में शिरकत लेने वाले भले ही गंभीर हों, लेकिन आसपास के कारोबारी वर्ग और आम लोग चुटकी लेते नहीं थक रहे हैं। बीते दिनों कुछ ऐसा ही दिखा बेदिल को। दरअसल लोग जानना चाह रहे हैं कि इस आंदोलन से और कितने मुख्यमंत्री व राज्यपाल निकलेंगे। सवाल पर कई लोग चौंके तो सवाल करने वालों ने जवाब भी दे दिया, कि उन पदों पर पहुंचने वाले ‘केजरीवाल’ और ‘बेदी’ यहीं से तो निकले हैं।
-बेदिल
