बिहार चुनावों में मिली धमाकेदार जीत से उत्साहित जेडीयू ने यूपी में एंटी बीजेपी फ्रंट बनाने का फैसला किया है। ऐसा यहां 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर किया जा रहा है। इसके लिए जेडीयू पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोकदल और पूर्वी यूपी में पिछड़ी जातियों की अगुआई में चलने वाले छोटे दलों से गठबंधन की संभावनाओं पर काम कर रही है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार यूपी ईस्ट और वेस्ट में होने वाली जनसभाओं में संबोधित कर सकते हैं।
जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक, बिहार के विधायकों, मंत्रियों और सांसदों को जनवरी महीने से इस योजना में जुटने के निर्देश दिए गए हैं। जेडीयू यूपी में चुनाव लड़ने की योजना पर भी विचार कर रही है। हालांकि, पार्टी ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ नरम रुख अपनाने का फैसला किया है। बता दें कि समाजवादी पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था।
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि यूपी में विधानसभा चुनावों से पहले एंटी बीजेपी फ्रंट बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पश्चिमी यूपी को फोकस में रखकर नीतीश कुमार और आरएलडी चीफ अजीत सिंह के बीच मीटिंग भी हुई है। इसके अलावा, जेडीयू के सांसद और विधायक पीस पार्टी जैसे विभिन्न दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। ये छोटे दल बिहार और यूपी के बॉर्डर वाले इलाकों में सक्रिय हैं। त्यागी ने कहा कि नीतीश वाराणसी या देवरिया में एक सभा को संबोधित भी कर सकते हैं। इसके अलावा, वे पश्चिमी यूपी में भी जा सकते हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू पश्चिमी यूपी में आरएलडी के साथ गठबंधन करके बीजेपी से जाट वोटर छीनना चाहती है। बता दें कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव में जाटों के वोट मिले, जबकि आरएलडी एक लोकसभा सीट भी जीतने में असफल रही। आरएलडी अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह ने नीतीश से मुलाकात की बात कबूल की है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि किसी गठबंधन की संभावना पर फिलहाल बात करना जल्दबाजी होगी। सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू विभिन्न संगठनों के उन नेताओं के संपर्क में है, जो कुर्मी, मौर्य, कुशवाहा, राजभर जैसी जातियों पर पकड़ रखने का दावा करते हैं। जेडीयू के एक नेता का मानना है कि पूर्वी यूपी के 100 से ज्यादा सीटों पर ये पिछड़ी जातियां बेहद अहमियत रखती हैं।
यूपी में जेडीयू का रिकॉर्ड पिछली बार बेहद निराशाजनक रहा है। 2012 विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी से गठबंबधन तोड़कर अलग से चुनाव में उतरी जेडीयू को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। उसके सभी 219 कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हो गई थी।