गुरुवार (20 जुलाई) को जब देश का राष्ट्रीय मीडिया ये जानने के लिए बेचैन था कि राष्ट्र का अगल राष्ट्रपति कौन होगा उस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) महत्वपूर्ण सांगठनिक फैसले ले रहा था। गुरुवार सुबह 11 बजे से राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतगणना शुरू हुई और शाम तक एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद विजयी घोषित हो गए। इस बीच इस खबर को कहीं ठीक से जगह भी नहीं मिली की आरएसएस ने संगठन के पुराने जमे हुए पदाधिकारियों का बड़े पैमाने पर तबादला किया है।
आरएसएस बौद्धिक प्रचारक स्वांत रंजन पिछले 12 साल से पटना में थे। अब उनका तबादला जयपुर कर दिया गया है। आरएसएस ने कई अन्य वरिष्ठ सदस्यों का तबादला किया है। एक प्रचारक की नियुक्ति भारत और विदेशों में स्थित हॉस्टलों की देखभाल के लिए की गई है। सहकार भारती के सगंठन सचिव विजय देवांगन को अब पूर्वोत्तर भारत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आरएसएस के अखिल भारतीय सहप्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार का दिल्ली से पटना स्थानांतरण कर दिया गया है। आरएसएस ने ये फैसले गुरुवार (20 जुलाई) को जम्मू-कश्मीर में संगठन के तीन दिवसीय सालाना अधिवेशन में लिए।
आरएसएस ने पहली बार अपनी सालाना बैठक जम्मू में आयोजित की। मंगलवार (18 जुलाई) को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत तमाम बड़े नेता शामिल हुए। आरएसएस की इस सालाना बैठक में करीब 200 प्रतिनिधि आए थे। बैठक में संघ शिक्षा वर्ग और गुरु दक्षिणा कार्यक्रम आयोजित करने के ऊपर चर्चा हुई। मार्च 2017 में कोयंबटूर की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की एक रिपोर्ट के अनुसार आरएसएस की पूरे देश में 57,233 शाखाएं लगती हैं। आरएसएस से जुड़े लोग विभिन्न जगहों पर सुबह के वक्त विभिन्न तरह के खेलकूद, व्यायाम और बौद्धिक विमर्श का आयोजन करते हैं जिसे संघ की भाषा में शाखा कहते हैं। बैठक में सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों के मार्च 2018 तक के कार्यक्रम भी तय किए जाने की खबर है।
गुरुवार को ये साफ हो गया कि रामनाथ कोविंद देश के अगले राष्ट्रपति होंगे। वहीं पूर्व बीजेपी नेता वेंकैया नायडू को एनडीए ने अपना उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है। वेंकैया ने उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने के बाद यह कहकर पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया कि उप-राष्ट्रपति का पद दलगत राजनीति से ऊपर है। जिस तरह से कोविंद को राष्ट्रपति चुनाव में 65 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं उसे देखते हुए वेंकैया का जीतना भी तय माना जा रहा है। ऐसे में पहली बार देश के तीन सर्वोच्च पदों पर आरएसएस से जुड़े रहे तीन लोग हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रहे हैं। हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी की उपलब्धियों के पीछे उनके प्रचारक जीवन के योगदान की ओर इशारा भी किया था।
